चंडीगढ़। पंजाब के जालंधर शहर की एक अदालत ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के भतीजे भूपिंदर सिंह हनी को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 8 फरवरी तक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेज दिया. हनी पर पंजाब में अवैध खनन का आरोप है और उनके खिलाफ जांच चल रही है. ईडी ने गुरुवार की देर रात 8 घंटे की पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. उन्हें पूछताछ के लिए दूसरी बार बुलाया गया था. हनी को पहले ईडी ने 23 जनवरी को जांच में शामिल होने के लिए तलब किया था, लेकिन उन्होंने स्वास्थ्य के मुद्दों पर पहले समन को दरिकनार कर दिया था और जांच में शामिल नहीं हुए थे. उन्होंने ईडी अधिकारियों को सूचित किया था कि वह कोविड-19 पॉजिटिव हैं और जांच में शामिल होने में असमर्थ हैं.
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ईडी ने 18 जनवरी को हनी के आवास होमलैंड हाइट्स समेत 10 जगहों पर छापेमारी की थी. ईडी ने दो दिनों तक अलग-अलग जगहों पर छापेमारी की और आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए. हनी को जालंधर में ईडी के जोनल ऑफिस में पेश होने के लिए कहा गया था. उन्हें चल रही जांच के सिलसिले में अपना बयान दर्ज कराना था. ईडी अधिकारियों ने हनी के बिजनेस पार्टनर कुदरत दीप सिंह का भी बयान दर्ज किया है. ईडी के अधिकारी ने इससे पहले कहा था कि उन्होंने छापेमारी के दौरान अवैध बालू खनन, संपत्ति के लेन-देन, सेल फोन, 21 लाख रुपये से अधिक का सोना और 12 लाख रुपये की घड़ी और 10 करोड़ रुपये नकद से संबंधित आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए हैं.
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एक सूत्र ने बताया कि उनके द्वारा बरामद दस्तावेजों से इस बात की पुष्टि हुई है कि कुदरत दीप सिंह दो फर्म चला रहे थे और भूपिंदर सिंह हनी उनमें संयुक्त निदेशक थे. सूत्रों के अनुसार, फर्म मूल रूप से शेल कंपनियां हैं, लेकिन ईडी ने बहुत सारे पैसे के लेनदेन का पता लगाया है. फर्मों में से एक प्रदाता ओवरसीज कंसल्टेंसी लिमिटेड है, जिसे 2018 में 33.33 प्रतिशत समान शेयरों के साथ शामिल किया गया था. ईडी का यह मामला दो साल पुरानी पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) के आधार पर है. पंजाब पुलिस ने 7 मार्च 2018 को 10 से अधिक आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. ईडी ने पिछले साल नवंबर में पंजाब में अवैध बालू खनन से जुड़ी इस प्राथमिकी के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की थी.
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पंजाब पुलिस की FIR में नहीं था भूपिंदर हनी का नाम
पंजाब पुलिस की प्राथमिकी में भूपिंदर सिंह हनी का नाम नहीं था और मामले में कुदरत दीप सिंह को क्लीन चिट दे दी गई थी. ईडी ने पाया कि मामले में शामिल आरोपियों द्वारा पैसे की हेराफेरी की जा रही थी, जिसके बाद एजेंसी के अधिकारियों ने मामले की जांच शुरू कर दी और उसके हाथ भूपिंदर सिंह हनी के गिरेबां तक जा पहुंचे.
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