दिल्ली. महान कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता Rabindranath Tagore का आज 160वां जन्मदिवस मनाया जा रहा है. उन्होंने साहित्य जगत के साथ ही देश की आजादी के आंदोलन में अपनी अमिट छाप छोड़ी है. Rabindranath Tagore का असली नाम रबीन्द्रनाथ ठाकुर है. टैगोर का जन्म कोलकाता के जोरसंकोर हवेली में 7 मई 1961 को एक संपन्न परिवार में हुआ था. विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के नोबल पुरस्कार विजेता हैं. रबीन्द्रनाथ टैगोर को गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है.

बता दें कि Rabindranath Tagore जी को साल 1913 में उनकी कृति गीतांजली के लिए साहित्य श्रेणी के नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था. वह भारत के साथ ही एशिया महाद्वीप में प्रथम नोबेल पुरस्कार पाने वाले व्यक्ति हैं. बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नई जान फूँकने वाले युगदृष्टा थे. Rabindranath Tagore एकमात्र कवि हैं जिसकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं – भारत का राष्ट्र-गान ‘जन गण मन’ और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान ‘आमार सोनार बाँग्ला’ गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं.

उनके पिता देवेन्द्रनाथ टैगोर और माता शारदा देवी थीं. उनकी प्रारंभीक शिक्षा प्रतिष्ठित सेंट जेवियर स्कूल में हुई थी. बचपन से ही उनकी कविता, छन्द और भाषा में अद्भुत प्रतिभा का आभास लोगों को मिलने लगा था. उन्होंने पहली कविता 8 वर्ष की आयु में लिखी थी और सन् 1877 में केवल सोलह वर्ष की आयु में उनकी प्रथम लघुकथा प्रकाशित हुई थी.

Rabindranath Tagore ने अपने जीवनकाल में कई उपन्यास, निबंध, लघु कथाएँ, यात्रावृन्त, नाटक और सहस्रो गाने भी लिखे हैं. वे अधिकतम अपनी पद्य कविताओं के लिए जाने जाते हैं. गद्य में लिखी उनकी छोटी कहानियाँ बहुत लोकप्रिय रही हैं. टैगोर ने इतिहास, भाषाविज्ञान और आध्यात्मिकता से जुड़ी पुस्तकें भी लिखी थीं. टैगोर के यात्रावृन्त, निबंध, और व्याख्यान कई खंडों में संकलित किए गए थे, जिनमें यूरोप के जटरिर पत्रों और ‘मनुशर धर्म’ शामिल थे. अल्बर्ट आइंस्टीन के साथ उनकी संक्षिप्त बातचीत, “वास्तविकता की प्रकृति पर नोट”, बाद के उत्तरार्धों के एक परिशिष्ट के रूप में सम्मिलित किया गया है.

Rabindranath Tagore ने लगभग 2,230 गीतों की रचना की थी. रवींद्र संगीत बाँग्ला संस्कृति का अभिन्न अंग है. टैगोर के संगीत को उनके साहित्य से अलग नहीं किया जा सकता. उनकी अधिकतर रचनाएँ तो अब उनके गीतों में शामिल हो चुकी हैं. हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की ठुमरी शैली से प्रभावित ये गीत मानवीय भावनाओं के अलग-अलग रंग प्रस्तुत करते हैं.

पिता के ब्रह्मसमाजी होने के कारण वे भी ब्रह्म-समाजी थे. उनकी रचनाओं में मनुष्य और ईश्वर के बीच के चिरस्थायी संपर्क की विविध रूपों में अभिव्यक्ति मिलती है. उन्होंने बंगाली साहित्य में नए तरह के पद्य और गद्य के साथ बोलचाल की भाषा का भी प्रयोग किया. इससे बंगाली साहित्य क्लासिकल संस्कृत के प्रभाव से मुक्त हो गया. टैगोर की रचनायें बांग्ला साहित्य में एक नई ऊर्जा ले कर आई. उन्होंने एक दर्जन से अधिक उपन्यास लिखे थे.

  • 1913 में Rabindranath Tagoreको उनकी काव्यरचना गीतांजलि के लिए साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला था. टैगोर नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले गैर यूरोपीय शख्स थे. यह पुरस्कार विश्व-भारती विश्वविद्यालय की सुरक्षा में रखा गया था. 2004 में इसे वहां से चोरी कर लिया गया था.
  • 1915 में उन्हें राजा जॉर्ज पंचम ने नाइटहुड की पदवी से सम्मानित किया था. 1919 में जलियाँवाला बाग हत्याकांड के विरोध में उन्होंने यह उपाधि लौटा दी थी.
  • उन्होंने साल 1877 में ‘भिखारिनी’ और साल 1882 में कविताओं का संग्रह ‘संध्या संगत’ लिखा.
  • महात्मा गांधी ने रबीन्द्र जी को ‘गुरूदेव’ की उपाधि दी थी. उनकी मौत 7 अगस्त 1941 को हुई थी.