भारतीय रेलवे के सुरक्षा इतिहास में आज का दिन नई इबारत लिखने वाला साबित हुआ. रेलवे को ‘जीरो एक्सीडेंट’ के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करने के लिए स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली का निर्माण किया गया है. कवच को एक ट्रेन को स्वचालित रूप से रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है. वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि जब डिजिटल सिस्टम को रेड सिग्नल या फिर किसी अन्य खराबी जैसी कोई मैन्युअल गलती दिखाई देती है, तो ट्रेनें भी अपने आप रुक जाती हैं. उन्होंने कहा कि एक बार लागू होने के बाद इसे चलाने में 50 लाख रुपये प्रति किलोमीटर का खर्च आएगा, जबकि दुनिया भर में ऐसी तकनीक के लिए करीब 2 करोड़ रुपये खर्च होते हैं.
इसके ट्रायल के लिए शुक्रवार को दो ट्रेनों को चंद मीटर के फासले से एक दूसरे से भिड़ने से रोक दिया. इस इतिहास के साक्षी खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव बने. कवच ने सामने से आ रही ट्रेन की भिड़ंत से पूर्व रेल मंत्री की ट्रेन को 380 मीटर पहले ही रोक दिया. तेलंगाना के सिकंदराबाद में ट्रेनों के बीच कवच का परीक्षण किया गया. एक ट्रेन के इंजन पर रेल मंत्री वैष्णव सवार थे तो सामने से आ रही दूसरी ट्रेन में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन व अन्य बड़े अधिकारी. यह परीक्षण सनतनगर-शंकरपल्ली खंड पर किया गया.
रेल मंत्री ने इस परीक्षण का एक मिनट का वीडियो साझा किया है. इसमें इंजन के कैबिन में रेल मंत्री वैष्णव व अन्य अधिकारी दिखाई दे रहे हैं. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्वीट किया, ‘रियर-एंड टक्कर परीक्षण सफल रहा है.
Rear-end collision testing is successful.
Kavach automatically stopped the Loco before 380m of other Loco at the front.#BharatKaKavach pic.twitter.com/GNL7DJZL9F— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) March 4, 2022