कुमार इंदर, जबलपुर। बरसात शुरू हो गई है. बारिश में अक्सर यह सुनाई आता है कि नदियां ओवरफ्लो हो गई हैं. खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. रेलवे पुल भी डूब चुका है. जिससे हादसे होने की संभावना बनी रहती है, लेकिन अब रेलवे ने एक नई तकनीक खोज निकाली है. जिससे खतरे का अलर्ट पहले ही मिल जाएगा.

दरअसल ऑटोमेटिक वॉटर लेवल मॉनिटरिंग सिस्टम की तकनीक के जरिए रेलवे समेत कई विभागों को नदी के ओवरफ्लो होते ही ऑटोमेटिक अलर्ट मिल जाएगा. इस तकनीक के सहारे रेलवे को अपनी गाड़ियां चलाने में काफी मदद मिलेगी. जैसे ही रेलवे ब्रिज को नदी का पानी टच करने वाला रहेगा, पुल के नीचे लगी तकनीक में अपने आप रेलवे को एक अलर्ट मैसेज भेजेगी. जिससे रेलवे को यह फैसला लेने में मदद मिलेगी कि उस ब्रिज के ऊपर से ट्रेन को निकाला जाए या नहीं.

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बता दें कि पश्चिम मध्य रेल के तीनों मण्डलों में 18 ब्रिजों पर ऑटोमेटिक वॉटर लेवल मॉनेटरिंग सिस्टम लगाया गया है. यह तकनीक मानसून के समय ट्रेनों का संचालन सुचारू रूप से चलाने के लिए मददगार साबित होगी. अभी मानसून के समय नदी के जलस्तर को मापने के लिए पुलों पर फ्लड गेज पेंट मार्क होता है. जब जल स्तर डेंजर लेवल पर पहुंचने से 01- 02 मीटर की दूरी के पहले ही बार-बार अलर्ट का संदेश भेजा जाता है, लेकिन इस नई प्रणाली से प्रतिदिन 8 बजे पुलों पर पानी के स्तर का अलर्ट संदेश संबंधित विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को आता है. इस प्रणाली में सोलर एनर्जी का प्रयोग किया गया है. यह पूरी तरह माइक्रो प्रोसेसर और जीपीएस आधारित प्रणाली है, जो सेंसर के माध्यम से ऑटोमेटिक मॉनिटरिंग करता है. इन सभी मॉनेटरिंग का समय-समय पर मापांकन भी किया जाता है.

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पश्चिम मध्य रेल पर स्थापित 18 महत्वपूर्ण पुलों की वॉटर लेवल मॉनिटरिंग सिस्टम की जानकारी इस प्रकार हैं. जिसमें जबलपुर मण्डल में 05 महत्वपूर्ण ब्रिज हैं- हिरण, कोपरा, बेरमी, नर्मदा, महानदी शामिल है. भोपाल मण्डल में 07 महत्वपूर्ण ब्रिज जिसमें माचक, ददूरा, नर्मदा, बेतवा, बीना नदी, काली सिंध, झकला नदी पर शामिल हैं. कोटा मण्डल में 06 महत्वपूर्ण ब्रिजों जिसमें सिपरा, छोटी कालीसिंध कालीसिन्ध, परबति, बानस, गंभीर शामिल है.

इस नई तकनीक के फायदे-

  • मानसून के समय ट्रेन संचालन की सरंक्षा में वृद्धि होगी.
  • प्रतिदिन वॉटर लेवल की मॉनेटरिंग की जा सकती है.
  • जलस्तर डेंजर लेवल पर पहुँचने से पहले अलर्ट का संदेश आने लगता है.
  • 24*7 डेटा की सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध रहती है.
  • मुख्यालय और मण्डलों से भी मॉनिटरिंग की जा सकती है.

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