प्रतीक चौहान. रायपुर. स्टेट नोडल एजेंसी (SNA) के स्टॉफ जिनपर महरबान होते हैं, उन्हें क्लेम पास कराने में कोई दिक्कत नहीं होती… क्लेम चाहे करोड़ों का क्यों न हो. लेकिन यदि आपने स्टेट नोडल एजेंसी में कुछ लोगों का ख्याल नहीं रखा तो आपके क्लेम भी रिजेक्ट होंगे और पैसे भी नहीं मिलेंगे. स्टेट नोडल एजेंसी ने Amrish Oncology Services Private Limited का पिछले वर्ष करोड़ रूपए से अधिक का क्लेम पास दिया. ये क्लेम कुल 880 से अधिक केस का था. आप ये जानकर हैरान हो जाएंगे कि स्टेट नोडल एजेंसी जो अस्पतालों के सैकड़ों केस रिजेक्ट कर रही है इनके एक भी केस रिजेक्ट नहीं किए.

इस वर्ष Amrish Oncology Services Private Limited ने करीब 3 करोड़ रूपए की ब्लॉकिंग कर ली है. अब तक भी स्टेट नोडल एजेंसी ने इनके एक भी केस रिजेक्ट नहीं किए है. अब सवाल ये उठता है कि जिस Amrish Oncology Services Private Limited के बारे में आईएमए के अध्यक्ष तक को नहीं पता कि ये अस्पताल कहा पर है तो ऐसे में एक सामान्य मरीज को ये कैसे पता चलेगा कि ये कहा है और यहां वो शासकीय योजना का लाभ लेने कैसे पहुंचेगा ? लेकिन बावजूद इसके यहां पिछले दो साल में 10 करोड़ रूपए से अधिक की ब्लॉकिंग हुई है और पिछले वर्ष का 1 केस का पेमेंट छोड़कर पूरा पेमेंट क्लीयर है.

अब आपको बताते है ये Amrish Oncology Services Private Limited है कहा

आपने संजीवनी सीबीसीसी कैंसर हॉस्पिटल का नाम सुना होगा. ये Amrish Oncology Services Private Limited भी इसी बिल्डिंग में नीचे बेसमेंट में मौजूद है. लेकिन पूरे अस्पताल या बाहर कही भी आपको इसके बोर्ड नजर नहीं आएंगे. जब इसके बार में जानकारी ली गई तो पता चला कि नीचे के बेसमेंट को संजीवनी कैंसर हॉस्पिटल ने किराये पर दिया है. यहां Amrish Oncology Services Private Limited का बोर्ड नहीं लगा इसका सीधा सा मतलब है कि यहां कभी स्टेट नोडल एजेंसी की कोई भी टीम नहीं पहुंची या पहुंची भी तो उसने अपनी आंखे बंद और जेब भारी कर के अपनी रिपोर्ट सौंप दी होगी.

क्या एक अस्पताल में दो को मिल सकता है लाइसेंस ?

अब सवाल ये है कि संजीवनी कैंसर हॉस्पिटल में भी आयुष्मान भारत योजना और डॉ खूबचंद बघेल योजना के तहत मरीजों का इलाज होता है और उनका रजिस्ट्रेशन अलग नाम से है, ऐसे में एक ही अस्पताल में दो को लाइसेंस क्या मिलना संभव है ? इस संबंध में लल्लूराम डॉट कॉम ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ राकेश गुप्ता से उनका पक्ष लिया तो उन्होंने ये स्पष्ट कर दिया है कि एक ही अस्पताल में दो अलग अलग लाइसेंस का कोई प्रावधान नहीं है.

यानी यहां भी स्टेट नोडल एजेंसी को जांच की जरूरत है, जिससे और कई खेल उजागर होने की उम्मीद है.