शिवम मिश्रा. हां, चंद दिनों पहले ही गठन हुए रायपुर पुलिस के नार्कोटिक्स सेल के करीब आधा दर्जन स्टॉफ के गिरफ्तार की तैयारी थी. ये गिरफ्तारी ओड़िशा पुलिस करने वाली थी. पुलिस के उच्च अधिकारियों के पूरे मामले में दखल के बाद टीम ओड़िशा से सकुशल रायपुर पहुंची.

 पूरा मामला दरअसल ऐसा है कि चंद दिनों पहले रायपुर रेंज के आईजी, एसएसपी ने नार्कोटिक्स सेल के गठन के बाद पहला खुलासा करते हुए गांजा, चरस और नशीली दवा का अवैध कारोबार करने वाले 4 लोगों को गिरफ्तार किया था. जिसमें 2 आरोपी ओड़िशा के रहने वाले थे.

इसके बाद आरोपियों से पुलिस ने विस्तृत पूछताछ की. जिसमें पता चला कि ये पूरा गैंग ओड़िशा की राजधानी भुवनेश्वर से संचालित होता है और इनके आका भुवनेश्वर के जगतसिंहपुर और नयागढ़ इलाके में मौजूद है.

रायपुर पुलिस ने बड़ी चालाकी से नशे के सौदागरों को पकड़ने के लिए एक बड़ा प्लान बनाया. लेकिन उन्हें इस बात का शक था कि यदि गिरोह के सरगनाहों को ये भनक लग गई कि उनकी टीम के कुछ सदस्य गिरफ्तार कर लिए गए हैं, तो वे वहां से फरार हो जाएंगे. इसलिए इस बार रायपुर पुलिस, पुलिस न बनकर नशे का सौदागर बनी.

ये था नार्कोटिक्स सेल का प्लान, ऐसे दिया गया इसे अंजाम

4 आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद प्रारंभिक पूछताछ में ही पुलिस को पता चला गया था कि इनके आका ओड़िशा में मौजूद है. प्लान के मुताबिक पुलिस ने यहां पत्रकारों को जानकारी देने से पहले ही उनके आका, यानी गिरफ्तार किए गए आरोपियों के आका को फोन करावाया गया और नशे का कुछ सामान ऑर्डर दिया. यानी नशे के खिलाफ चलाई जा रही मुहिम को उजागर करने के लिए पुलिस को नशे का सौदागर बनना पड़ा.

टीम रायपुर में खुलासा करती इससे पहले टीम ओड़िशा के लिए निकल गई. ग्राहक बनकर पहुंची पुलिस ने नशे के मुख्य सौदागरों तक हुई डील का सामान लेने पहुंची और उन्हें दबोच लिया.

पुलिस जब वहां पहुंची तो उन्हें पता चला कि वहां न केवल गोली बल्कि नशीली इंजेक्शनों की एक बड़ी खेप भी मौजूद है, जो युवाओं को नशे का आदि बना रहा था.

… ऐसे थी नार्कोटिक्स पुलिस के गिरफ्तारी की तैयारी

आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के बाद टीम ने कानून इसकी जानकारी संबंधित थाने में दी. लेकिन टीम जैसे ही वहां पहुंची ओड़िशा पुलिस ने आरोपियों को थाने में पेश करने कहा. नार्कोटिक्स सेल की टीम को ओड़िशा पुलिस के हाव-भाव देखकर ये समझ आ गया था कि दाल में कुछ काला है और यदि यहां इन्हें लाया गया तो पुलिस कोई कार्रवाई करने इसकी उम्मीद कम थी. वहीं ओड़िशा पुलिस संभवतः ये भी चाह रही थी कि उक्त मामले की पूरी कार्रवाई नए सिरे से ओड़िशा में हो और इसका पूरा श्रेय उन्हें मिले.

लेकिन चूंकि इस पूरी कार्रवाई का श्रेय रायपुर पुलिस को जाता है, इसलिए टीम थाने में जानकारी देकर वहां से निकल गई. लेकिन पुलिस को क्या पता था कि उनके पीछे भी ओड़िशा पुलिस ने मुखबीर लगाकर रखे है. टीम जैसे ही हाईवे के रास्ते आगे बढ़ी वैसे ही उन्हें पुनः ओड़िशा पुलिस ने रोक लिया. इसी बीच ओड़िशा और रायपुर पुलिस के बीच तू-तू मैं-मैं भी हुई.

तभी नार्कोटिक्स सेल ने ओड़िशा पुलिस से ये कहा कि यदि उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा तो ही वे थाने चलेंगे. इसी दौरान उन्हें थाने लाया गया. जिसके बाद ये पूरी जानकारी नार्कोटिक्स सेल ने पुलिस के उच्च अधिकारियों को दी, इसके बाद करीब 1 घंटे थाने में रहने के बाद नार्कोटिक्स सेल वहां से पुनः अपने गंतव्य स्थान यानी रायपुर के लिए निकली.

आईजी ने दी शाबाशी… मिला इनाम

इस पूरी कार्रवाई के बार रायपुर रेंज के आईजी आनंद छाबड़ा ने पूरी टीम को शाबाशी दी और इस कार्रवाई को अंजाम देने के लिए आईजी ने 30 हजार रुपए के इनाम भी दिया और छत्तीसगढ़ डीजीपी से टीम को इनाम दिलाने के लिए एक आवेदन भेजने की तैयारी में है. क्यों कि ऐसा पहली बार हुआ है जब प्रदेश की पुलिस ने पहली बार भारी मात्रा में नशे में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन की एक बड़ी खेप को आरोपियों के साथ गिरफ्तार किया है.

बता दें कि इस पूरे मामले का खुलासा आज IG आनंद छाबड़ा, SSP प्रशांत अग्रवाल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक तारकेश्वर पटेल और क्राइम अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक महेश्वरी ने किया.