प्रतीक चौहान. 60-60 वॉट के दो बल्ब से सैनेटाइजेशन के नाम पर रायपुर रेलवे स्टेशन में मची लूट अब बंद हो गई है. lalluram.com के खुलासे के बाद सैनेटाइजेशन का सेटअप पूरी तरह बंद हो गया है, वहीं सैनिटाइजेशन के नाम से यात्रियों से लूट करने वाले सभी कर्मचारी गायब हो गए हैं.

पूरे प्रकरण में हैरानी करने वाली बात यह है कि सैनिटाइजेशन का कारोबार संभालने वाला एक रेल अधिकारी का कथित भतीजा वह भी रेलवे स्टेशन से गायब है, इतना ही नहीं इस भतीजे ने कुछ दिन पहले रायपुर रेलवे स्टेशन में एक कैंटीन में स्टॉफ के साथ मारपीट भी की थी, जिसके बाद उसके खिलाफ धारा 151 के तहत जीआरपी में एफआईआर भी दर्ज की गई थी.

इससे स्पष्ट है कि रायपुर रेलवे स्टेशन में अपराधिक प्रवृत्ति के लोग बिना डर रेल अधिकारियों के संरक्षण में काम कर रहे है, और रेल अधिकारी अपनी प्रोटोकॉल सेवा लेकर खुश है.

किस कंपनी का था टेंडर ?

अब सवाल ये है कि यूवी (अल्ट्रावायलट) के माध्यम से सैनेटाइजेशन का टेंडर किस कंपनी को दिया गया था, और वहां रेलवे स्टेशन में मारपीट करने वाले आरोपी कैसे यात्रियों से पैसे ले रहे थे? दूसरा सवाल ये है कि क्या वीडियो देखने के बाद भी रेल अधिकारियों को शिकायत का इंतजार है? लेकिन लिखित शिकायत के बाद भी कार्रवाई की उम्मीद रेल अधिकारियों से बेमायने है, क्योंकि पिछले दिनों रेलवे क्राइम ब्रांच को एक टिकट दलाल के ज्यादा पैसे लेने की लिखित शिकायत देने के बाद भी न तो जांच हुई, और न कोई कार्रवाई. हालांकि, इस मामले में बाद में विजिलेंस ने कार्रवाई की थी. वहां जो बिल मिला उसमें कंपनी का पता हरियाणा के गुड़गांव का है.

सूत्र बताते है कि रायपुर रेलवे स्टेशन में उक्त पिंटू नाम के व्यक्ति को रायपुर रेलवे स्टेशन के कुछ अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है, जिसकी वजह से ठेका कोई और लेता है, लेकिन इसका संचालन पिंटू को दिया जाता है. जानकार बताते है कि कुछ वर्षों पहले तक यह पिंटू नाम का शख्स रेलवे स्टेशन में मौजूद मेडिकल स्टोर में नौकरी करता था, लेकिन रेलवे अधिकारियों के संरक्षण के बाद आज रेलवे स्टेशन में 3-4 स्टॉल के संचालन की जिम्मेदारी उसके पास है. और रेल अधिकारियों के सारे अनैतिक काम उक्त व्यक्ति के माध्यम से होते है. सूत्र तो यहां तक दावा करते है कि यदि अनाधिकृत वेंडिंग की सेटिंग करनी हो तो पिंटू के माध्यम से ही रेल अधिकारियों तक चढ़ावा चढ़ाया जाता है, और पूरा काम सफल हो जाता है.

तो क्या सीनियर डीसीएम देंगे अनुमति

जानकार बताते है कि नियमों के मुताबिक कुछ वर्षों पहले तक वेंडिंग की अनुमति कमर्शियल विभाग के उच्च अधिकारी के माध्यम से दी जाती थी. जिससे होता ये था कि नियमों के मुताबिक ही रेलवे शुल्क जमा करवाकर वेंडिंग के लिए कार्ड दिया जाता था. लेकिन कुछ महीनों से ये अनुमति रेलवे स्टेशन डायरेक्टर देते है. यही कारण है कि अब रायपुर रेलवे स्टेशन में ठेला वाला भी वेंडिंग की अनुमति लेता है, और यात्रियों की सेहत के साथ उसे खिलवाड़ करने की छूट मिल जाती है. यानी उक्त ठेले वाले वेंडर के पास न तो अपना किचन होता है, और न इसका सेटअप. वह मार्केट से औने-पौने दाम में खाद्य पदार्थ खरीदता है, और रेलवे स्टेशन में यात्रियों को परोसता है.