प्रतीक चौहान. रायपुर. रायपुर रेल मंडल की आरपीएफ (RPF ) ने 1500 किलो से अधिक रेलवे के लोहा चोरी के मामले में आरपीएफ के दो स्टॉफ और रेलवे के स्टॉफ समेत 11 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाई की है. ये खुलासा कैसे हुआ और आरपीएफ स्टॉफ की इसमें क्या भूमिका है इस खबर में हम आपको विस्तार से बताएंगे.
पूरा मामला 28 दिसंबर का है. जब बड़ी संख्या में कुछ लोहा ट्रैक के किनारे गिरे होने की सूचना आरपीएफ के उच्च अधिकारियों को मिली. सूत्र बताते है कि इस मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसी दिन आरपीएफ कमांडेंट भी घटना स्थल पर पहुंच गए.
इसके बाद आरपीएफ के सब इंस्पेक्टर और दो स्टॉफ को कमांडेंट ने सस्पेंड कर दिया और मामले की जांच शुरू की. इसी बीच रेलवे के इंटेलिजेंस को भी एक्टिवेट किया गया और मौके पर सादे कपड़े में कुछ अधिकारी पहुंचे.
वहां पहुंचने के बाद आस-पास के लोगों ने बताया कि यहां ट्रैक में न केवल ये लोहा गिरा है, बल्कि पास में ही मौजूद कबाड़ी को भी इसे बेचा गया है. सूत्र बताते है कि एक टीम कबाड़ियों के पास पहुंची और ये पड़ताल की कि वहां गिरा लोहा किस कबाड़ी ने खरीदा है. सूत्र की माने तो दो आरोपी ऐसे भी मिले जिन्होंने कबूल किया कि उन्हें भी 500-500 रूपए चोरी का लोहा ढ़ोने के एवज में मिले है.
इसी बीच सस्पेंड हुए आरोपी आरपीएफ आरक्षक मोहित कुमार भी सक्रिय हो गया. उसने संदीप यादव नाम के एक अन्य आरोपी को धमकी देनी शुरू कर दी. उसने संदीप को ये कहा कि कोई भी इस संबंध में पूछे तो वे कुछ न बताएं नहीं तो ठीक नहीं होगा.
लेकिन इसका भी वीडियो उच्च अधिकारियों तक पहुंच गया. चूंकि मामला आरपीएफ और रेलवे स्टॉफ की संलिप्तता का था, इसलिए आरपीएफ की टीम ने फूंक-फूंक कर कदम उठाया और सारे सबूत एकत्र करने के बाद ये बड़ी कार्रवाई की.
इस कार्रवाई ने स्पष्ट कर दिया, रेलवे में नहीं चलेगा ये सब…
आरपीएफ के उच्च अधिकारियों ने इस कार्रवाई से एक स्पष्ट संदेश सभी आरपीएफ स्टॉफ को दे दिया है, वो ये है कि ऐसे चोरी के मामले में किसी भी आरपीएफ अधिकारी-कर्मचारी की संलिप्तता मिली तो किसी को बक्शा नहीं जाएगा.