जयपुर. अपनी तेज गेंदबाज़ी के लिए प्रसिद्ध आरसीबी के लिए खेलने वाले उत्तर प्रदेश के निवासी यश दयाल को राजस्थान उच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी बचने के लिए अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया. यश दयाल पर नाबालिग से दुष्कर्म करने का आरोप लगा है.
न्यायमूर्ति सुदेश बंसल की एकल पीठ ने कहा कि चूँकि मामला एक नाबालिग पीड़िता से संबंधित है, इसलिए इस स्तर पर न्यायिक हस्तक्षेप अनुचित होगा. साथ ही, पीठ ने पुलिस को 22 अगस्त को होने वाली अगली सुनवाई तक केस डायरी जमा करने का निर्देश दिया.
रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (आरसीबी) के तेज़ गेंदबाज़ दयाल ने अग्रिम ज़मानत के लिए एक आपराधिक याचिका दायर की थी. उनके वकील कुणाल जैमन ने आरोप लगाया कि क्रिकेटर को एक जबरन वसूली गिरोह द्वारा निशाना बनाया जा रहा है. उन्होंने गाजियाबाद में दर्ज एक ऐसी ही प्राथमिकी का हवाला दिया जिस पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी, और उसके एक सप्ताह के भीतर जयपुर में शिकायत दर्ज कराई गई थी.
उत्तर प्रदेश के निवासी यश दयाल आईपीएल में आरसीबी के लिए खेलते हैं, और अपनी तेज़ गेंदबाज़ी के लिए जाने जाते हैं.
सांगानेर पुलिस स्टेशन के एसएचओ अनिल जैमन ने खुलासा किया कि जयपुर की रहने वाली शिकायतकर्ता की दो साल पहले 17 साल की उम्र में यश दयास से मुलाक़ात हुई थी. जांचकर्ताओं का दावा है कि दयाल ने एक पेशेवर क्रिकेटर होने के नाते अपने पद का फ़ायदा उठाया और शुरुआत में करियर में मदद का वादा किया, फिर कथित तौर पर बलात्कार किया.
एसएचओ जैमन ने आगे बताया कि 2025 के आईपीएल सीजन के दौरान जयपुर में रहने के बाद दयाल ने लड़की को सीतापुरा के एक होटल में बुलाया, जहाँ उसने कथित तौर पर उसके साथ फिर से बलात्कार किया. चूँकि पहली घटना तब हुई थी जब लड़की नाबालिग थी, इसलिए यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के प्रावधान लागू किए गए हैं.
पीड़िता के नाबालिग रहते हुए पहला कथित अपराध होने के कारण, इस मामले में POCSO अधिनियम के प्रावधानों के साथ-साथ IPC की धारा 376 (बलात्कार) भी लगाई गई है. पुलिस ने पुष्टि की है कि जाँच अभी प्रारंभिक है और केस डायरी न्यायिक समीक्षा के लिए प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है.