लखनऊ. राजधानी लखनऊ में अब 600 से अधिक परिवारों को रमजान शुरू होने के बाद शनिवार से इफ्तार किया जाएगा. महामारी के कारण छोटा इमामबाड़ा में 183 साल पुराना नवाबी किचन लगातार दो साल से बंद थी.

नवाबी रसोई में हुसैनाबाद और एलाइड ट्रस्ट के तहत 13 मस्जिदों में और लगभग 600 गरीब परिवारों को इफ्तार प्रदान करने की परंपरा है, जहां उपवास रखने वालों को भोजन परोसा जाता है. बड़ा इमामबाड़ा में असफी मस्जिद, छोटा इमामबाड़ा में शाही मस्जिद और हुसैनाबाद में जामा मस्जिद उन 13 मस्जिदों में शामिल हैं, जिन्हें ‘शाही बावर्ची खाना’ से इफ्तार भोजन मिलता है. छोटा इमामबाड़ा से करीब 600 गरीब परिवारों को रात में 30 दिन तक खाना दिया जाता है.

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सूत्रों के अनुसार, परंपरा, अवध के तीसरे राजा, मोहम्मद अली शाह द्वारा 1839 में शुरू की गई थी और 3,000 गरीब परिवारों को राजा द्वारा लगाए गए ट्रस्ट फंड के तहत लगातार भोजन उपलब्ध कराया गया है. हाट के एक अधिकारी हबीबुल हसन ने कहा, “टेंडर के लिए आवेदन मंगाए गए हैं, 2019 में, राजा के चल रहे ट्रस्ट, हाट से उपयोग करने के लिए 19 लाख रुपये का बजट पारित किया गया था.”

इफ्तारी में बन बटर, समोसा, केक, पकौड़े, चिप्स, फल आदि शामिल हैं, जबकि रात में दिए जाने वाले भोजन में दो तंदूरी रोटियां और दाल या एक व्यंजन (आलू की सब्जी) भोजन में शामिल है. रमजान के दौरान हर दिन, रसोई सुबह आठ बजे से शाम चार बजे तक काम करेगी.

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