रायपुर- मुख्य सूचना आयुक्त एम के राउत की नियुक्ति पर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं. आरटीआई कार्यकर्ताओं ने राउत की नियुक्ति पर आपत्ति जताते हुए इसे अवैधानिक करार दिया है. सामाजिक कार्यकर्ता और आरटीआई एक्टिविस्ट राकेश चौबे ने कहा कि जिस अफसर के विरूद्ध ईडी की जांच चल रही है. ऐसे व्यक्ति को मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर काबिज करना उचित नहीं है. चौबे ने इस मामले में विपक्ष की भूमिका पर भी सवाल खड़े किया है. उन्होंने कहा है कि मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति के लिए बनाई गई कमेटी में नेता प्रतिपक्ष टी एस सिंहदेव भी शामिल हैं, लिहाजा उनकी अनुशंसा इस बात को की ओर इशारा करती है कि सरकार के साथ उनकी सांठगांठ हैं. राकेश चौबे ने कहा है कि इस मामले को लेकर वह जल्द कोर्ट जाएंगे.

राकेश चौबे की दलील है कि उनकी ही शिकायत के बाद राउत के खिलाफ ईडी में मामला दर्ज किया गया था, जिसकी फिलहाल जांच जारी है. चौबे का कहना है कि  इस मामले पर -2014 – 2015 एक शिकायत मेरे द्वारा कराई गई थी,  2014-2015 ईडी को शिकायत की जिसके बाद दो पर नोटिस जारी हुआ था, मामला दर्ज है और काईवाही प्रचलन में है. वहीं एम के राऊत ने रेरा के अध्यक्ष बनने के लिए आवेदन किया था, उसके चयन समिति के अध्यक्ष के समुख्य भी शिकायत दर्ज कराई गई थी जिसके चलते रेरा ने इसे रोक दिया था.

वहीं आरटीआई कार्यकर्ता ललित चंद्रनाहू का आरोप कि रायपुर के कलेक्टर रहते एम.के राउत ने करोड़ों जमीन घोटाला किया था. इसकी शिकायत 12.06.17 को प्रधानमंत्री, मुख्य सचिव छग शासन, एसीबी और ईओडब्लू को किया था, जिसकी जांच कार्यवाही लंबित है. वहीं उनके विरुद्ध छत्तीसगढ़ लोक आयोग में अवचार का प्रकरण लंबित है. इसके साथ राउत के खिलाफ भारत सरकार के प्रवर्तन निर्देशालय ने 22 हजार डॉलर की मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में नोटिस जारी किया गया, जिसका प्रकरण भी लंबित है. वहीं ललित चंद्रनाहू ने राउत की नियुक्ति रद्द करने पीएमओ, छत्तीसगढ़ राज्यपाल, भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है.
वहीं आरटीआई कार्यकर्ता कुणाल शुक्ला ने ने भी राउत की नियुक्ति को गलत बताते हुए इसका विरोध किया है. और उन्होंने मूख्य सूचना आयुक्त के खिलाफ प्रदर्शन भी किया.  आरटीआई कार्यकर्ताओं का आरोप राज्य सरकार ने एम.के राउत को ही मूख्य सूचना आयुक्त के बनाने के लिए इतने साल तक इस पद को खाली रखा था और किसी अन्य की नियुक्ति नहीं की थी.

दूसरी ओर इस नियुक्ति में सरकार से सांठगांठ के आरोप घिरे विपक्ष के नेता टीएस सिंहदेव का कहना है कि एम.के. राउत को वे काफी सालों से जानते हैं, वे एक काबिल अधिकारी है. लिहाजा सिर्फ शिकायत के आधार पर किसी की नियुक्ति को गलत ठहरा देना उचित नहीं है. लेकिन अगर राउत के खिलाफ कहीं कोई केस दर्ज तो उस मामले की जांच जल्दी से जल्दी होनी चाहिए है. सरकार को 3 महीने के भीतर सभी मामलों की जांच करानी चाहिए अगर शिकायते हुई है तो, ताकि नियुक्ति को लेकर कहीं किसी कोई आपत्ति ना हो.

अपको बात दे कि 1984बैच के रिटायर्ड एसीएस एमके राउत छत्तीसगढ़ के नए मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) बनाए गए है. मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति करने वाली कमेटी ने राउत के नाम पर शनिवार को मुहर लगा दी. कमेटी में मुख्यमंत्री रमन सिंह और नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव शामिल थे. राउत की सहमति मिलने के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने उनका नियुक्ति आदेश जारी कर दिया था. राउत छत्तीसगढ़ के तीसरे मुख्य सूचना आयुक्त है. अशोक विजय वर्गीय छत्तीसगढ़ के पहले मुख्य सूचना आयुक्त थे. राउत बीते 30 नवंबर को एसीएस पंचायत से रिटायर हुए थे.