रोहित कश्यप, मुंगेली। LALLURAM.COM की खबर का बड़ा असर हुआ है. वन भैंसे की मौत मामले को दबाने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन मौत के 5वें दिन मामले का खुलासा हो गया. LALLURAM.COM में खबर प्रकाशन के बाद विभाग हरकत में आया. जानकारी छिपाने वालों को नोटिस जारी कर दिया है. मामले में रेंजर ने डिप्टी रेंजर को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है.

दरअसल, मुंगेली वन मंडल अंतर्गत परसवारा के जंगल में वन भैंसे की मौत मामले में कई चौकने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं. वन भैंसे की मौत की खबर फायर वाचर, वन रक्षक, डिप्टी रेंजर को होने के बाद भी रेंजर और डीएफओ को इसकी जानकारी तीन से चार दिन बाद दी गई. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि क्या इस घटना को छिपाने का प्रयास किया जा रहा था?.

इधर घटना की जानकारी नहीं देने पर रेंजर ने डिप्टी रेंजर को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिसमें समय रहते जवाब नहीं देने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की बात कही गई है. इस बात की जानकारी DFO शमा फारूकी को भी नहीं दी गई थी.

क्या है मामला ?

मुंगेली वनमण्डल के परसवारा जंगल में एक बाइसन सागौन प्लांटेशन एरिया में मृत मिला. वन विभाग की पहल से पोस्टमार्टम कराने के बाद उसका चार से पांच दिन बाद गुरुवार को अंतिम संस्कार किया गया, जिसके बाद डीएफओ ने मामले की विभागीय जांच के निर्देश दिए हैं.

विरोधाभास की स्थिति

मामले में फायरवाचर होरीलाल यादव का कहना है कि वनरक्षक ललित बंजारे को घटना के तत्काल बाद इसकी सूचना उन्होंने दे दी थी, जिसके बाद वनरक्षक ललित बंजारे मौके पर पहुंचे. इसकी सूचना वे डिप्टी रेंजर को देने की बात कह रहे हैं. वहीं डिप्टी रेंजर सावित ध्रुव ने कहा कि उन्होंने इसकी सूचना 5 मार्च को ही एसडीओ मानवेंद्र सिंह को दे दी थी, जबकि एसडीओ का दावा है कि उन्हें घटना की जानकारी 3 दिन बाद मिली है.

वहीं डीएफओ शमा फारूखी का और लोरमी वन परिक्षेत्र की रेंजर दीक्षा बर्मन का कहना है कि घटना की जानकारी उन्हें बुधवार को मिली है. सवाल यह है कि आखिर सच कौन बोल रहा है और झूठ कौन बोल रहा है. विभाग के उच्च अधिकारियों को इस लापरवाही की दिशा में भी जांचकर कार्रवाई करनी चाहिए.

इसके अलावा यह बात भी सामने आ रही है कि जंगली सुअर की शिकार के चक्कर मे वनभैंसे की मौत जाल में फंसकर हुई है, तो क्या घटना पर पर्दा डालने या किसी को बचाने की साजिश हो रही थी, यह भी जांच का विषय है.

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