अन्यायोपार्जितं वित्तं दशवर्षाणि तिष्ठति।

प्राप्ते चैकादशे वर्षे समूलंचविनश्यति।।

अब आप सोच रहे होंगे कि हम संस्कृत का ये श्लोक क्यों बता रहे है. वो इसलिए क्योंकि चाणक्य नीति के पंद्रहवें अध्याय का ये श्लोक मुंगेली वन परिक्षेत्र के रेंजर सीआर नेताम पर चरितार्थ हो रही है. पहले आप समझे कि इस श्लोक का मतलब क्या होता है. इसका मतलब है कि

गलत ढंग से कमाया हुआ धन मनुष्य के पास केवल दस साल तक ही रहता है. इसके बाद वह धन सूद समेत नष्ट हो जाता है. चाणक्य का मानना है कि धन हर मनुष्य के लिए आवश्यक है. परंतु इसका अर्थ यह कतई नहीं है कि मनुष्य अनैतिक रूप से धन का संचय करे. इसलिए हर मनुष्य को धन संचय में यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि गलत तरीके से कमाया हुआ धन 11वें साल में खुले में पेट्रोल की तरह नष्ट हो जाता है.

अब हम आपको बताते है कि ये उक्त वन विभाग के अधिकारी पर कैसे चरितार्थ होता है. वन विभाग के अधिकारी सीआर नेताम ने पहले कथित सीबीआई की जांच से बचने के लिए ठगों को 1 करोड़ रुपए दिए. इसके बाद पुनः ठगों ने उन्हें अपना शिकार बनाने की कोशिश की. जिसके बाद पुलिस ने उन कथित पत्रकारों को तो गिरफ्तार कर लिया, लेकिन अब विभाग ने अधिकारी पर कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया है. उक्त अधिकारी के निलंबन की पुष्टि CCF बिलासपुर नावेद शुजाउद्दीन ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में की है.

इतना ही नहीं वन विभाग के उच्च अधिकारियों ने सीआर नेताम की पूरी कुंडली खंगालनी शुरू कर दी है. वे जहां-जहां पदस्थ थे वहां के आर्थिक अनियमिताओं की जांच शुरू कर दी गई है.

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