RBI Monetary Policy Committee: भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 6 फरवरी यानी आज से शुरू होगी. यह बैठक 8 फरवरी तक चलेगी. जानकारों के मुताबिक इस बैठक में आरबीआई रेपो रेट यानी ब्याज दर में कोई बदलाव की उम्मीद नहीं है. फिलहाल रेपो रेट 6.50 फीसदी पर बना हुआ है. इससे पहले दिसंबर की बैठक में आरबीआई ने ब्याज दरें नहीं बढ़ाई थीं.
पिछले वित्त वर्ष में रेपो रेट 6 बार 2.50% बढ़ाया गया
मौद्रिक नीति की बैठक हर दो महीने में होती है. पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 की पहली बैठक अप्रैल-2022 में आयोजित की गई थी. तब RBI ने रेपो रेट को 4% पर स्थिर रखा था, लेकिन 2 और 3 मई को आपात बैठक बुलाकर RBI ने रेपो रेट को 0.40% बढ़ाकर 4.40% कर दिया.
रेपो रेट में यह बदलाव 22 मई 2020 के बाद हुआ. इसके बाद 6 से 8 जून तक हुई बैठक में रेपो रेट में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी की गई. इससे रेपो रेट 4.40 फीसदी से बढ़कर 4.90 फीसदी हो गया. फिर अगस्त में इसमें 0.50% की बढ़ोतरी की गई, जिससे यह 5.40% हो गई.
![](https://lalluram.com/wp-content/uploads/2024/02/rbi-1701867743-1024x576.jpg)
सितंबर में ब्याज दरें बढ़कर 5.90% हो गईं. फिर दिसंबर में ब्याज दरें 6.25 फीसदी तक पहुंच गईं. इसके बाद वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आखिरी मौद्रिक नीति बैठक फरवरी में हुई थी, जिसमें ब्याज दरें 6.25% से बढ़ाकर 6.50% कर दी गई थीं.
RBI रेपो रेट क्यों बढ़ाता या घटाता है?
आरबीआई के पास रेपो रेट के रूप में मुद्रास्फीति से लड़ने का एक शक्तिशाली उपकरण है. जब मुद्रास्फीति बहुत अधिक होती है, तो आरबीआई रेपो दर बढ़ाकर अर्थव्यवस्था में धन के प्रवाह को कम करने का प्रयास करता है. अगर रेपो रेट ज्यादा होगा तो बैंकों को आरबीआई से मिलने वाला कर्ज महंगा हो जाएगा. इसके बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए कर्ज महंगा कर देंगे. इससे अर्थव्यवस्था में धन का प्रवाह कम हो जाएगा. यदि धन का प्रवाह कम हो जाएगा तो मांग कम हो जाएगी और मुद्रास्फीति कम हो जाएगी.
रिवर्स रेपो रेट बढ़ने या घटने से क्या होता है?
रिवर्स रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को पैसा रखने पर ब्याज देता है. जब आरबीआई को बाजार से तरलता कम करनी होती है तो वह रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है. बैंक आरबीआई के पास अपनी हिस्सेदारी पर ब्याज प्राप्त करके इसका लाभ उठाते हैं. अर्थव्यवस्था में ऊंची मुद्रास्फीति के दौरान आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ाता है. इसके चलते बैंकों के पास ग्राहकों को कर्ज देने के लिए पैसे कम पड़ गए हैं.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक