भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ऐसी नई व्यवस्था लाने की तैयारी में है, जिससे ग्राहकों को मुश्किलों से राहत मिल जाएगी. साथ ही बढ़ते डिजिटल फ्रॉड पर भी लगाम लगाई जा सकेगी. आरबीआई के मुताबिक, ऑनलाइन पैसा ट्रांसफर करने से पहले ही उस व्यक्ति का नाम देखा जा सकेगा, जिसे भेजना होगा.

 रिजर्व बैंक ने पेमेंट विजन- 2025 दस्तावेज जारी कर ऐसी तमाम सहूलियतों के बारे में रास्ते तलाश जाने के संकेत दिए हैं. चेक पेमेंट के बजाय डिजिटल पेमेंट को भी बढ़ाकर तीन गुना कर दिया जाएगा. चेक पेमेंट के जरिये लेन-देन को अगले 3-4 साल में 0.25 फीसदी तक सीमित कर दिया जाएगा. रिजर्व बैंक सभी लोगों के लिए तेज ई-भुगतान व्यवस्था पर काम कर रहा है. उसके मुताबिक इसका समग्र उद्देश्य हर उपयोगकर्ता को सुरक्षित, तेज, सुविधाजनक, सुलभ और किफायती ई-भुगतान विकल्प देना है. धोखाधड़ी को रोकने के लिए डिजिटल भुगतान को सुरक्षित बनाया जाएगा.

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने संकेत दिए हैं कि बड़े पैमाने पर ओटीपी आधारित बैंकिंग धोखाधड़ी की घटनाओं को देखते हुए वैकल्पिक व्यवस्था भी तलाशी जा रही है. मौजूदा ओटीपी की जगह मोबाइल एप्लीकेशन, डिजिटल टोकन जैसी व्यवस्था पर काम किया जा रहा है. आने वाले दिनों में इन्हें भी लागू किया जा सकता है.

बढ़ेगी पारदर्शिता…

कानूनी इकाई पहचानकर्ता एलईआई का भी इस्तेमाल पेमेंट के लिए किया जाएगा. इससे पेमेंट में न सिर्फ पारदर्शिता आएगी, बल्कि किसी एक मामले मे एक साथ कई जगहों से होने वाले पेमेंट पर भी नजर रखी जा सकेगी. एलईआई का इस्तेमाल केवाईसी के लिए और फ्रॉड पकड़ने में भी किया जाएगा. मौजूदा समय में इसका इस्तेमाल करोड़ों रुपए के बड़े लेन-देन में किया जाता है

कानूनी इकाई पहचानकर्ता एलईआई का भी इस्तेमाल पेमेंट के लिए किया जाएगा. इससे पेमेंट में न सिर्फ पारदर्शिता आएगी, बल्कि किसी एक मामले मे एक साथ कई जगहों से होने वाले पेमेंट पर भी नजर रखी जा सकेगी. एलईआई का इस्तेमाल केवाईसी के लिए और फ्रॉड पकड़ने में भी किया जाएगा. मौजूदा समय में इसका इस्तेमाल करोड़ों रुपए के बड़े लेन-देन में किया जाता है

और सुरक्षित बनेगा डिजिटल पेमेंट

डिजिटल भुगतान के बढ़ते तरीकों के साथ साथ डिजिटल भुगतान धोखाधड़ी में बड़े पैमाने पर बढ़त देखने को मिली है. हालांकि इसके लिए बैंकों और दूसरे हितधारकों की तरफ से किए गए तमाम प्रयासों के बावजूद, धोखाधड़ी की राशियों की वसूली दर बहुत अधिक उत्साहजनक नहीं है. ऐसे में ग्राहको के साथ हो रही धोखाधड़ी को लेकर डिजिटल भुगतान संरक्षण कोष यानि डीपीपीएफ के निर्माण का भी अध्ययन किया जाएगा.