जशपुर। छत्तीसगढ़ सरकार का लक्ष्य है 2 अक्टूबर 2018 तक राज्य को ओडीएफ फ्री बनाना. लेकिन अधिकारी सरकार की इस मंशा पर पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. इसकी बानगी जशपुर में देखने को मिलती है.

सरकार ने 15 अगस्त को जिले में स्वच्छ भारत मिशन में उत्कृष्ट कार्य करने वाले जनपद पंचायतों के मुख्यकार्यपालन अधिकारियों और जनपद पंचायत के अध्यक्षो को सरकार द्वारा सम्मानित किया गया. लेकिन ये सम्मान किस आधार पर दिया गया ये बड़ा सवाल है क्योंकि बगीचा पाठ इलाके में रहने वाले कोरवा जनजाति को शौचालय मुहैया नहीं कराया गया. कुछ लोगों को मुहैया कराया गया है तो वो  शौचालय शौच करने के लायक ही नहीं है.

सघन कोरवा जनजाति की बस्ती वाले पंडरा पाठ में कहने को तो शौचालय बनवाये गये लेकिन ये लोग खुले में ही शौच करने जाते हैं. इसकी वजह है कि महीनों से इनका शौचालय इनके खेत में केवल ढांचा की तरह खड़ा है. कही दरवाजे नही हैं तो कही गड्ढे नही हैं तो कही केवल दीवाल खड़ी कर दी गयी है. ताज्जुब तो तब हुआ जब हमारी नजर एक ऐसे शौचालय के गड्ढे पर पडी जिसे साधारण लकड़ियों की जाली लगाकर ढलाई किया गया.  ग्रामीणों की माने तो इनके आस पास सैंकड़ों ऐसे शौचालय हैं जिनका निर्माण महीनों से अधूरा है.

कई ऐसे है जहां सिर्फ शौचालय की नींव खोदी गयी है.

  1. गांव में रहने वाले पहाड़ी कोरवा गोबर्धन और सोमारू पहाड़ी कोरवा ने बताया कि अब तक शौचालय के नाम पर केवल दीवाल खड़ी गयी है
  2. जगेश्वर पहाड़िया के शौचालय में अंबतक दरवाजे नहीं लगाए गए.
  3. ग्रामीण मनीलाल पहाड़िया ने बताया कि उनके शौचालय के लिए बनाये गये गड्ढों की ढलाई लोहे के छड़ की जगह लकड़ी की काठी से ढाले गये हैं जो राम भरोसे है .

कागजो में सौ फीसदी निर्माण

ये इलाका जनपद पंचायत बगीचा का है जो आज से  कई महीने पहले कागजी तौर पर सौ फीसदी शौचालय निर्माण का पुख्ता रिकार्ड लिए आधिकारिक तौर पर ओडीएफ घोषित होने का इंतज़ार कर रहा है. स्वच्छ भारत मिशन की वेबसाइट पर यहां शत प्रतिशत शौचालय निर्माण की जानकारी देता है.

सम्मान नही शपथ लेने गए थे रायपुर

बीते 14 अगस्त को मीडिया और सोशल मीडिया में सरकारी बयान जारी करके यह बताया गया था कि जिले में स्वच्छ भारत मिशन कार्य में उत्कृष्ट कार्य करने वालो को स्वतंत्रता दिवस के मौके जिले के छः जनपद सीईओ और जनपद अध्यक्षो को सम्मानित किया जाएगा और स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उन्हें सम्मानित भी किया गया बल्कि जशपुर जिला प्रशासन की और से ट्विटर में ट्वीट करके इस सम्मान को ओडीएफ के रूप में प्रचारित करके सभी छः सीईओ और जनपद अध्यक्षो को बधाई भी दे दिया. लेकिन अब जब इनके उत्कृष्ट कार्यों की पोल खुलने लगी तो इन्होंने सम्मान समारोह का नाम बदलकर शपथ समारोह कर दिया.

बगीचा जनपद पंचायत के सीईओ  कुंवर सिंह मार्को को जब हमने पंडरापाठ में बनाये जा रहे शौचालय की असली तस्वीर दिखाई तो उन्होंने कहा कि 15 अगस्त को सम्मान लेने नही बल्कि स्वच्छता का शपथ लेने गए थे. अब सवाल यह भी उठता है कि 100 प्रतिशत शौचालय निर्माण होने के बाद साहब  किस बात की शपथ लेने गए थे ?

फंड नही होने के चलते जैसे तैसे कर रहे हैं काम

पंडरापाठ सरपंच ने कबूल किया कि शौचालय निर्माण अभी पूरा नही हुआ है और थोड़ी बहुत गुणवत्ता में चूक हुई है ।यहां की महिला सरपंच सुसिन्ता देवी   ने बताया कि शौचालय के गड्ढों की ढलाई लोहे की जगह लकड़ी से इसलिये की गयी है क्योंकि पंचायत के फंड में पैसे नही है और ऊपर से कोई फंड जारी नही हो रहा है. स्वच्छ भारत मिशन में झूठ फरेब का खेल यह कोई नया नही खेला जा रहा है इससे पहले जिले के दुलदुला और कांसाबेल जनपद को भी ऐसे ही ओडीएफ घोषित किया गया था.