अर्थस्य अर्थोलोके अर्थात् इस अर्थ युगीन दुनिया में कहीं ना कहीं धन की बड़ी महत्ता समझ में आती है। चाहें वें पारिवारिक रिष्तें हों या सामाजिक जिम्मेदारियाॅ सबकुछ पैसों पर आश्रित होता है। आर्थिक पक्ष के कमजोर होने पर सभी आवष्यक कार्य में रूकावट आती हैं तो वहीं रिष्तें भी खराब होते ही हैं। कुंडली में लग्नेष एवं सप्तमेष का 6, 8 या 12 भाव में हो तो आर्थिक कष्ट या धन संबंधित कमी से जीवन बाधित होता है। 6, 8 या 12 भाव के स्वामी होकर द्वितीय या एकादष भाव से संबंध स्थापित होने पर धन सुख में बाधा के कारण परिवार परेषान होता है।
इसके अलावा लग्नेष या तृतीयेष का निर्बल होकर क्रूर स्थान या क्रूर ग्रहों के साथ होना भी जीवन में दुख तथा कष्ट का कारण बनता है। द्वितीय, पंचम, सप्तम, अष्टम या द्वादष भाव पर क्रूर ग्रह का होना भी जीवन में कष्ट का कारण घरेलू या आर्थिक कमी बनता है। यदि किसी के जीवन में आर्थिक कष्ट उत्पन्न हो रहा हो गजेंद्र मोक्ष का पाठ तथा मंगल का व्रत करना चाहिए। गजेंद्र मोक्ष को अपने आप में एक अद्भुत सतुति कहा जाता है। इसके प्रयोग से किसी भी प्रकार के कष्टनिवारण में आषातीत सफलता प्राप्त होती है। कलयुग में गजेंद्र मोक्ष की स्तुति हर प्रकार के सुख सौभाग्य हेतु तथा हर प्रकार के समस्याओं से मुक्ति में पूरी तरह से सफल है।
गजेंद्रमोक्ष के प्रयोग हेतु किसी शुभ मुहूर्त में स्वार्थ सिद्धि योग या अमृत सिद्धि योग में प्रातःकाल स्नान आदि से निवृत्त होकर विष्णुजी की प्रतिमा के समक्ष, उन या कुष के आसन पर पूर्व की ओर मुख कर बैठ जाए। धूप-दीप आरती के उपरांत गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र-श्रीमद्भागवत का पाठ कर भगवान विष्णुजी की आरती कर हवन आदि करें, उसके उपरांत नित्य एक माला गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने से जीवन में अर्थ, कर्ज के तनाव से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है, जिससे जीवन सुचारू रूप से सुखपूर्वक बीतता है।