मुंबई। जियो के लेकर रिलायंस इंडस्ट्री के चेयरमैन मुकेश अंबानी एक और धमाका कर सकते हैं. दरअसल खबर आ रही है कि रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड का आईपीओ मार्केट में आ सकता है. दरअसल जियो पर अब तक करीब 31 अरब डॉलर का निवेश किया जा चुका है और अब पैसे जुटाने के लिए इसका आईपीओ लाया जा सकता है.
2018 या फिर 2019 के शुरुआत में कंपनी जियो का आईपीओ जारी कर सकती है. अभी आईपीओ की लिस्टिंग को लेकर विचार किया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक, जियो ने अब तक कोई मुनाफा नहीं कमाया है. जबकि अगर उपभोक्ताओं के हिसाब से देखा जाए, तो देश में तेजी से इसके कस्टमर बढ़े हैं. ट्राई के आंकड़ों के मुताबिक 31 अक्टूबर तक जियो के यूजर्स की संख्या करीब 14.6 करोड़ दर्ज की गई है. वहीं जो भारत 4जी के यूज में काफी पिछड़ा हुआ था, वो इसके इस्तेमाल में अग्रणी बन गया.
घाटे की बात करें, तो रिलायंस जियो को जुलाई से सितंबर के बीच करीब 270 करोड़ रु का घाटा हुआ था.
जियो के आने के बाद बदल गई टेलीकॉम सेक्टर की तस्वीर
फ्री और नए-नए ऑफर्स के लिए रिलायंस जियो जाना जाता है. सितंबर 2016 में इसे लॉन्च किया गया था. जिसके बाद पूरी टेलीकॉम सेक्टर की ही तस्वीर बदल गई. दूसरी टेलीकॉम कंपनियों के माथे पर पसीने आ गए. उन्हें जियो से मुकाबला करने के लिए अपने टैरिफ में बदलाव करने पड़े और जिस 1 जीबी डाटा के लिए कंपनियां ढाई सौ रुपए वसूलती थी, उसे 50 रुपए प्रति जीबी करना पड़ गया.
आईपीओ से होगा फायदा
विशेषज्ञों का कहना है कि आईपीओ के आने से 500 बिलियन से 700 बिलियन रुपए तक का मार्केट कैपिटलाइजेशन कंपनी हासिल कर सकती है. जिससे कंपनी लिस्टिंग के समय तक करीब 250 बिलियन के सालाना रेवेन्यू की हालत में आ जाएगी.
2018 में डाटा प्लान में होंगे बदलाव
खबर आ रही है कि साल 2018 में रिलायंस जियो के कई सारे प्लान में बदलाव हो सकता है. जियो अपने कई प्लान की कीमत बढ़ा सकता है. अब महीनों फ्री और कम कीमत के प्लान्स यूज कर रहे उपभोक्ताओं के लिए जरूर ये एक झटका हो सकता है.
इंटरनेशनल एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट कहती है कि 2020 तक भारत की 80 प्रतिशत आबादी इंटरनेट का इस्तेमाल करने लगेगी और जियो इसे लीड करने की स्थिति में होगा. एलटीई कनेक्शन की बात करें, तो जियो के आने के बाद से यूजर्स अब 84 फीसदी टाइम एलटीई सिग्नल से कनेक्ट होते हैं. ये आंकड़ा पिछले साल से 10 फीसदी अधिक है. वहीं एलटीई कनेक्शन के मामले में भारत ने स्वीडन, ताइवन, स्विटजरलैंड, ब्रिटेन को भी पीछे छोड़ दिया है.