हेमंत शर्मा, इंदौर। विधायक आकाश विजयवर्गीय (MLA Akash Vijayvargiya) बल्ला कांड मामले में नया मोड़ आ गया है। राजनीतिक रसूख में निगम का रिमूवल भवन निरीक्षक दब गया। पीड़ित और फरियादी निगम के रिमूवल निरीक्षक ने इंदौर जिला कोर्ट ( Indore District Court) में दिए बयान में बल्ला मारने वाले को पहचानने से इंकार कर दिया है।
निगम के रिमूवल निरीक्षक ने दिए बयान में कहा कि घटना के दिन नगर निगम के 40 और पुलिस के 10 अधिकारी कर्मचारी टीम ऑल टीम के साथ कार्रवाई में शामिल थे। विरोध स्वरूप 100 से 125 लोग भी वह मौजूद थे। काफी भीड़ थी। जब हम गए तब विधायक आकाश विजयवर्गीय वहीं थे। कुछ देर बाद आए और इंदौर नगर निगम (Indore nagar nigam) के अधिकारी से बात करने लगे। भीड़ ने हमें घेर लिया था। तभी पीछे से मेरे पैर पर किसी ने बल्ला मार दिया। मेरा ध्यान मोबाइल पर था, इसलिए मुझे पता नहीं चला कि किसने मारा है। बाद में मैंने देखा तो तीन चार लोग हाथ में बल्ला लेकर खड़े थे। करीब 2 घंटे तक प्रति परीक्षण के बाद कोर्ट ने 25 फरवरी को अगली सुनवाई के आदेश दिए हैं।
वहीं इस पूरे मामले में आकाश विजयवर्गीय सहित 11 लोगों पर सरकारी काम में बाधा डालने सहित मारपीट की धाराओं में केस दर्ज किया था। अब जनप्रतिनिधि से जुड़े केस के लिए इंदौर जिला कोर्ट में विशेष न्यायालय बनाए जाने के कारण अब ऐसे केसों की सुनवाई इंदौर में ही होगी।
दरअसल पूरा मामला इंदौर इंदौर के एमजी रोड थाना क्षेत्र स्थित जेल रोड का है। जहां विधायक आकाश विजयवर्गीय ने जून 2019 में नगर निगम की एक रिमूवल कार्रवाई के दौरान भवन निरीक्षक धीरेन्द्र बायस की क्रिकेट के बल्ले से पिटाई कर दी थी। पूरा मामला सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद थाने तक पहुंचा था। उसके बाद एमजी रोड पुलिस ने विधायक आकाश विजयवर्गीय पर सरकारी कार्य मे बाधा का मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर इंदौर जिला कोर्ट में पेश किया था।
इसे भी पढ़ेः इंदौर में बने एशिया के सबसे बड़े बायो-सीएनजी प्लांट का लोकार्पण आज, पीएम मोदी वर्चुअल कार्यक्रम में करेंगे लोकार्पण
विधायक आकाश विजयवर्गीय को जाना पड़ा था जेल
इंदौर जिला कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए विधायक आकाश विजयवर्गीय को जेल भेज दिया था। इसके बाद विधायक आकाश विजयवर्गीय ने भोपाल एमपी एमएलए कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की। जिसके बाद भोपाल कोर्ट से विधायक की जमानत हुई थी। पूरा मामला तब का है, जब 15 महीनों की कांग्रेस सरकार मध्यप्रदेश में काबिज़ थी। पूरे मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था। वीडियो के आधार पर पुलिस ने भी कड़ी कार्रवाई करते हुए विधायक को गिरफ्तार किया था। अब कोर्ट में पूरे मामले में न्यायधीश अरविंद गुर्जर की कोर्ट में फरियादी धीरेन्द्र बायस से प्रतिपरीक्षण 2 घण्टे हुआ।
निगम के 40 और 10 पुलिसकर्मी ऑल टीम के साथ कार्रवाई में शामिल थे
सीनियर एडवोकेट अविनाश शिरपुर ने बताया कि कोर्ट को फरियादी ने बताया कि घटना के दिन नगर निगम के 40 और पुलिस के 10 अधिकारी कर्मचारी टीम ऑल टीम के साथ कार्रवाई में शामिल थे। विरोध स्वरूप 100 से 125 लोग भी वह मौजूद थे। काफी भीड़ थी। जब हम गए तब विधायक आकाश विजयवर्गीय वहीं थे। कुछ देर बाद आए और नगर निगम के अधिकारी से बात करने लगे। भीड़ ने हमें घेर लिया था। तभी पीछे से मेरे पैर पर किसी ने बल्ला मार दिया। मेरा ध्यान मोबाइल पर था, इसलिए मुझे पता नहीं चला कि किसने मारा है। बाद में मैंने देखा तो तीन चार लोग हाथ में बल्ला लेकर खड़े थे। करीब 2 घंटे तक प्रति परीक्षण के बाद कोर्ट ने 25 फरवरी को अगली सुनवाई के आदेश दिए हैं।
Read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक