पीलीभीत. उत्तर प्रदेश में पीलीभीत टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के अधिकारी नेपाल से गैंडों को महोफ वन रेंज के लग्गा बग्गा क्षेत्र में बसने के लिए लुभाने और इसे एक स्थाई घर बनाने की योजना बनाई जा रही है. अब तक, गैंडे इस क्षेत्र में मौसमी आगंतुक रहे हैं और थोड़े समय के प्रवास के बाद नेपाल में अपने घर वापस लौट जाते हैं.

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया के क्षेत्रीय समन्वयक मुदित गुप्ता ने कहा कि इस परियोजना का उद्देश्य नस्ल अच्छी करने के लिए स्थानीय गैंडों के साथ जीन का प्राकृतिक आदान-प्रदान करना है.पीटीआर का लग्गा बग्गा वन क्षेत्र नेपाल के रॉयल शुक्लफांटा राष्ट्रीय उद्यान से जुड़ा है. नेपाल से गैंडे स्वाभाविक रूप से इस क्षेत्र में प्रवास करते हैं.

यहां गैंडो के लिए अनुकूल वातावरण

संभागीय वन अधिकारी नवीन खंडेलवाल ने कहा कि लग्गा बग्गा 1,905.20 हेक्टेयर में फैला है, जो नेपाल के रॉयल शुक्लाफांटा राष्ट्रीय उद्यान के साथ 14 किलोमीटर की सीमा साझा करता है. इसमें समृद्ध घास के मैदान, बहुत सारे जल निकाय, दलदली जमीन और अबाधित जंगली गलियारे हैं, जो गैंडों के लिए सभी अनुकूल परिस्थितियां हैं.

पीटीआर में गैंडों की आवाजाही सुनिश्चित करना चाहते हैं

अधिकारी के मुताबिक, दुधवा टाइगर रिजर्व में भी ऐसा ही हुआ था. वहां नेपाल से जंगली हाथियों का एक झुंड शुरू में थोड़े समय के लिए चला गया था. लेकिन बाद में स्थायी रूप से रुक गया था. उन्होंने कहा कि वह नेपाल से पीटीआर में गैंडों की लगातार आवाजाही सुनिश्चित करना चाहते हैं और धीरे-धीरे उन्हें यहां अपना आवास बनाने देना चाहते हैं. हम युद्ध स्तर पर प्रस्तावित योजना पर काम कर रहे हैं.

1 साल में बढ़ी गैंडों की संख्या

इसके लिए गैंडों को सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली घास की प्रजातियों की पहचान करने पर काम चल रहा है. चूंकि वे कीचड़ और दलदल में रहना पसंद करते हैं, इसलिए पर्याप्त दलदली जमीन (आद्र्रभूमि) उनके लिए आवश्यक है. उन्होंने कहा कि नेपाल में गैंडों की आबादी 2021 में 645 से बढ़कर 752 हो गई है. जो छह साल पहले 2015 में अनुमानित थी. शुक्लफांटा पार्क में अंतिम गणना के अनुसार एक सींग वाले 17 गैंडे हैं.

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