भारत के पवित्र नगरों की बात की जाती हैं, तो उसमें ऋषिकेश का नाम भी जरूर लिया जाता हैं. Rishikesh उत्तराखंड राज्य के देहरादून जिले में मौजूद एक धार्मिक नगरी और मशहूर पर्यटन स्थल है. प्राचीन समय में ऋषियों और मुनियों ने यहां पर ध्यान, योग और प्रार्थना किया था. गंगा नदी ऋषिकेश शहर से होकर बहती है और ये अपने विभिन्न मंदिरों और योग आश्रमों के लिए प्रसिद्ध है. पवित्र मंदिरों, घाटों, शांत आश्रमों और सदाबहार जंगलों से घिरे इस शांत शहर में हर किसी के लिए कुछ न कुछ जरूर है. Rishikesh भी भारत के उन कुछ स्थानों में से एक है जहां विजिटर्स एडवेंचर एक्टिविटी का आनंद ले सकते हैं. आज हम आपको ऋषिकेश की प्रमुख दर्शनीय स्थलों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें आपको जरूर एक्सप्लोर करना चाहिए.

लक्ष्मण झूला

लक्ष्मण झूला गंगा नदी के ऊपर बना एक प्रसिद्ध हैंगिंग ब्रिज है, जो टिहरी गढ़वाल जिले के तपोवन और पौड़ी गढ़वाल जिले के जोंक को जोड़ता है. लक्ष्मण झूला Rishikesh शहर के उत्तर-पूर्व में 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. पूरा पुल लोहे से बना हुआ है और यह 450 फीट लंबा है और गंगा नदी से 70 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. ऋषिकेश के पर्यटन स्थलों में लक्ष्मण झूला पर्यटकों के बीच बहुत प्रसिद्ध है. माना जाता है कि भगवान राम के छोटे भाई भगवान लक्ष्मण ने इसी स्थान पर गंगा नदी को पार किया था, जहां अब पुल पर्यटकों को देखने के लिए बनाया गया है. लक्ष्मण झूला का निर्माण 1929 में किया गया था. Read More – गर्मी में स्किन को ठंडक देकर फ्रेश रखता है पुदीना, ये 6 फैसपैक आपकी स्किन को रखेंगे हाइड्रेट और Pimple Free …

राम झूला

राम झूला Rishikesh के एक प्रमुख लैंडमार्क पर बना पुल है. गंगा नदी के ऊपर बना हुआ पुल है. यह पुल लक्ष्मण झूला से भी बड़ा पुल है स्वर्ग आश्रम और विश्व आनंद आश्रम को साथ में जोड़ता है. इस पुल का निर्माण 1983 मैं किया गया था. इस पुल के किनारे लक्ष्मण जी का एक प्राचीन मंदिर है. यह पुल स्वर्ग आश्रम और शिवानंद आश्रम के बीच बना है इसलिए इसे शिवानंद झूला भी कहा जाता है. राम झूला लक्ष्मण झूला के नजदीक स्थित है. राम झूले पर जब लोग चलते हैं तो यह झूलता हुआ दिखाई देता है.

कौडियाला

कौडियाला Rishikesh में एक मशहूर पर्यटन स्थल है. गंगा नदी पर स्थित इस क्षेत्र के चारों ओर घने पहाड़ी जंगल हैं. ये स्थान वनस्पतियों और जीवों की कई जंगली प्रजातियों का निवास स्थान भी है. जिन्हें पर्यटन यात्रा के दौरान देख सकते हैं. अगर आफ एडवेंचर एक्टिविटी के शौकिन हैं, तो आप व्हाइट वाटर राफ्टिंग का आनंद ले सकते हैं.

नीलकंठ महादेव मंदिर

यह भगवान शिव का बहुत ही प्राचीन और प्रसिद्ध मन्दिर है जो कि Rishikesh से 32 किमी पर है. यह एक पर्वत के ऊपर स्थित है, जिसकी ऊचाई 1330 मी है. यह मंदिर तीन घाटियों से घिरा हुआ है, मणिकूट, ब्रम्हाकूट और विष्णुकूट. यह धार्मिक स्थान दो सदाबहार नदियों पंकजा और मधुमती के संगम से बना है. Read More – Summer Special Recipe : गर्मी में खाएं ठंडा-ठंडा ककड़ी का रायता, Body की Dehydration से रखता है दूर …

त्रिवेणी घाट

पवित्र गंगा नदी के तट पर स्थित त्रिवेणी घाट ऋषिकेश का सबसे बड़ा घाट है. त्रिवेणी घाट पर हर शाम ‘महाआरती’ होती है. त्रिवेणी घाट हिंदू पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और महाकाव्य रामायण और महाभारत में भी इसका उल्लेख है. घाट को पवित्र माना जाता है और हिंदू पौराणिक कथाओं की मानें तो कहा जाता है कि घाट के पास गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाने से आपके सभी पाप धुल जाते हैं. आप यहां कुछ देर बैठकर पानी में मछलियों को तैरते हुए भी देख सकते हैं और उन्हें खाना भी डाल सकते हैं.

नीरगढ़ झरना

नीरगढ़ जलप्रपात ठंडे पानी की एक सुंदर संकरी धारा है जो घने हरे जंगल के बीच एक चट्टानी इलाके में बहती है. वॉटरफॉल तक पहुँचने के लिए जंगल से होते हुए लगभग एक किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है और एक चट्टान से नीचे उतरना पड़ता है. इसके अलावा, आप इस जगह के चारों ओर घूमते हुए वनस्पतियों और जीवों की कई समृद्ध विविधता देख सकते हैं. इस जगह पर आकर आपको आसपास की घाटी के कुछ मनमोहक दृश्य भी देखने को मिल जाएंगे.

वशिष्ट गुफा

वशिष्ठ गुफा Rishikesh से 16 किलोमीटर की दूरी पर है. यह स्थान ध्यान के लिए काफी प्रमुख माना जाता है गूलर के पेड़ों के बीच स्थित है. गुफा के पास ही हिंदुओं द्वारा पवित्र माने जाने वाला एक शिवलिंग भी है. वशिष्ठ गुफा जहां ऋषियों ने सिद्धि अर्जित की. ऊंची पहाड़ियों से नीचे उतर कर गंगा किनारे जाए तो वहां यह गुफा जो कि काफी प्राकृतिक है और हजारों साल पुरानी. कितनी भी गर्मी हो इस गुफा पर मौसम का असर नहीं है. ऋषि वशिष्ठ ने इसे तलाशा. साधु संत आज भी इसे बहुत पवित्र स्थान मानते हैं. माना जाता है कि इस गुफा के मुहाने पर स्थित धूनी हजारों साल पहले वशिष्ठ ऋषि द्वारा चलाई गई थी. उन्हीं के नाम पर इस गुफा का नाम वशिष्ट गुफा पड़ा. वशिष्ठ गुफा न सिर्फ पवित्र है बल्कि आज भी साधनाओं के लिए सिद्ध स्थान है.