मुंबई के पवई इलाके में गुरुवार दोपहर उस समय हड़कंप मच गया जब आरए स्टूडियो में 17 बच्चों और 2 अन्य लोगों को एक रोहित आर्या नाम के व्यक्ति ने बंधक बना लिया.उसने पूरे स्टूडियो को हाई-टेक जाल में तब्दील कर दिया था. करीब तीन घंटे तक चली इस घटना का अंत पुलिस की सटीक रणनीति और साहसिक कार्रवाई के साथ हुआ. पुलिस ने सभी बच्चों को सुरक्षित निकाल लिया, जबकि रोहित आर्या को गोली लगने के बाद उसकी मौत हो गई. रोहित आर्या ने बंधक बनाने के बाद एक वीडियो जारी कर यह दावा किया कि वह कोई आतंकवादी नहीं है, न ही वह किसी बड़ी रकम की मांग कर रहा है.
उसने कहा कि वह बस कुछ लोगों से बात करना चाहता है. इस बयान ने पुलिस को उलझन में डाल दिया, क्योंकि घटना का मकसद साफ नहीं था. मुंबई पुलिस की टीम ने तुरंत मोर्चा संभाला और स्टूडियो के चारों ओर सुरक्षा घेरा बना लिया. करीब दो घंटे तक लगातार बातचीत की कोशिश की गई, लेकिन जब रोहित किसी भी बात के लिए तैयार नहीं हुआ, तब पुलिस ने ऑपरेशन शुरू किया.
जानकारी के अनुसार, रोहित आर्या ने स्टूडियो की खिड़कियों और दरवाजों पर मोशन डिटेक्टर सेंसर लगा रखे थे ताकि पुलिस किसी भी दिशा से अंदर प्रवेश न कर सके. इतना ही नहीं, उसने स्टूडियो में लगे सीसीटीवी कैमरों की दिशा मोड़ दी थी, जिससे पुलिस की गतिविधियों पर उसकी नजर बनी रहे लेकिन कोई भी बाहर से उसकी निगरानी न कर सके. यह साफ था कि उसने इस योजना को पहले से सोचा-समझा था और स्टूडियो को एक नियंत्रण केंद्र की तरह इस्तेमाल किया.
फिर पुलिस ने बाथरूम के रास्ते से प्रवेश करने की रणनीति बनाई. पुलिस की एक टीम को इस रास्ते से भेजा गया, जिसने धीरे-धीरे स्टूडियो के भीतर स्थिति पर नियंत्रण पाया. इसी दौरान झड़प में रोहित आर्या को गोली लगी और उसे घायल अवस्था में अस्पताल ले जाया गया, जहां बाद में उसकी मौत हो गई. मुंबई पुलिस ने पाया कि सभी मुख्य द्वार और खिड़कियां सेंसर से लैस है. किसी भी दरवाजे के खुलते ही मोशन अलर्ट एक्टिव हो सकता था, जिससे बच्चों की जान को खतरा हो सकता था.
बच्चों को बंधक बनाकर रखे गए स्टूडियो से पुलिस को कई संदिग्ध वस्तुएं मिली हैं. मौके से एयर गन, पेट्रोल, ज्वलनशील रबर सॉल्यूशन और लाइटर बरामद किए गए हैं. इस मामले में पवई पुलिस ने मृत आरोपी रोहित आर्या के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 109(1), 140 और 287 के तहत मामला दर्ज किया है. घटना की आगे की जांच अब क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई है, जबकि बरामद सामान को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है.
झड़प के बाद स्टूडियो में लगे सभी सेंसर सिस्टम को निष्क्रिय किया और बच्चों और अन्य बंधकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया. पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि रोहित आर्या ने इतनी जटिल व्यवस्था क्यों की और उसका असली उद्देश्य क्या था. इस हाई-टेक बंधक कांड ने मुंबई पुलिस की रणनीतिक दक्षता और त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता को एक बार फिर साबित किया है.
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