लखनऊ। भारत में रहने वाले सभी लोगों का डीएनए एक है, भले ही वे किसी भी धर्म के हों. मुसलमानों को डर के इस चक्र में नहीं फंसना चाहिए कि भारत में इस्लाम खतरे में है. जो लोग कहते हैं कि मुसलमान इस देश में नहीं रह सकते, वे हिंदू नहीं हैं. यह बात राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने गाजियाबाद में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के कार्यक्रम में कही.
राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के कार्यक्रम ‘हिन्दुस्तानी प्रथम, हिन्दुस्तान प्रथम’ में मोहन भागवत ने कहा कि लिंचिंग करने वाले हिंदुत्व विरोधी हैं. उन्होंने राजनीति को एकता खत्म करने का हथियार बताते हुए कहा कि ऐसे कुछ काम हैं, जो राजनीति नहीं कर सकती है. राजनीति लोगों को एक नहीं कर सकती है, राजनीति लोगों को एक करने का उपकरण नहीं बन सकती है, लेकिन एकता खत्म करने का हथियार बन सकती है.
उन्होंने कहा कि हिंदू-मुस्लिम एकता भ्रामक है क्योंकि वे अलग-अलग नहीं, बल्कि एक हैं. पूजा करने के तरीके के आधार पर लोगों में भेद नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि देश में एकता के बिना विकास संभव नहीं. एकता का आधार राष्ट्रवाद और पूर्वजों की महिमा होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष का एकमात्र समाधान संवाद है, न कि विसंवाद. उन्होंने कहा कि हम एक लोकतंत्र में हैं. यहां हिन्दुओं या मुसलमानों का प्रभुत्व नहीं हो सकता. यहां केवल भारतीयों का वर्चस्व हो सकता है.
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इसके पहले भागवत ने अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा कि वह न तो कोई छवि बनाने के लिए कार्यक्रम में शामिल हुए हैं, और न ही वोट बैंक की राजनीति के लिए. उन्होंने कहा कि संघ न तो राजनीति में है और न ही यह कोई छवि बनाए रखने की चिंता करता है. संघ राष्ट्र को सशक्त बनाने और समाज में सभी लोगों के कल्याण के लिए अपना कार्य जारी रखता है.
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