रायपुर. रूचिर गर्ग के कांग्रेस में शामिल होने के बाद देश भर से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. जिसमें बड़ी संख्या बुद्धिजीवियों की है.

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और गांधीवादी विचारक अपूर्वानंद ने रुचिर गर्ग के फैसले को साहसिक बताया. उन्होने कहा कि रूचिर एेसे राजनैतिक दल में गए हैं जो अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. यह संघर्ष भारतीय जनतंत्र के अस्तित्व से जुड़ा हुआ भी है. उनका सामना एक बेहद आक्रामक दल से है. जो कोई भी  तरकीब अपने विरोधियों के लिए अपनाने से नहीं हिचकता. तो एेसी स्थिति में एक बौद्धिक व्यक्ति का राजनीति में प्रवेश करना वक्त की जरूरत भी थी. अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना के लिए एेसे लोगों का राजनीति में आना एक सकारात्मक कदम है. वे एक संवेदनशील, बौद्धिक पत्रकार रहे हैं एेसे में अगर वे कांग्रेस में शामिल होते हैं तो इससे साफ होता है कि उन्होने छत्तीसगढ़ के राजनैतिक माहौल में, देश के राजनैतिक माहौल में कितनी बाध्यता महसूस की होगी. ये कांग्रेस और छत्तीसगढ़ की राजनीति के लिए शुभ संकेत है कि एक बेहद संवेदनशाल और बौद्धिक पत्रकार राजनीति में शामिल हुआ है.

 इसी तरह देश के एक जानेमाने पत्रकार श्रवण गर्ग ने रूचिर गर्ग के कांग्रेस में शामिल होने पर कहा कि कि अच्छे लोगों का राजनीति में आना जरूरी क्योंकि इससे राजनीतिक पार्टियों में सुधार आएगा. अभी लोग राजनीति में प्रवेश करने से डरते हैं क्योंकि राजनीति में गुंजाइश कम होती है. ये साहस करना अपने आप में बड़ी बात है. उन्होने कहा कि रूचिर अगर पार्टी निरपेक्ष होकर चुनाव लड़ते तो ज्यादा अच्छा होता. उनका राजनीति में जाना अच्छा है लेकिन पार्टी निरपेक्ष होकर राजनीति में आते तो अच्छा होता. लेकिन समस्या ये है कि ईमानदार पत्रकारों के पास संसाधनों का और कार्यकर्ताओं का अभाव होता है तो वे चुनाव लड़ नहीं पाते. उन्होने जो भी फैसला लिया है सोच समझ के फैसला लिया होगा. उम्मीद है कि रूचिर के चुनाव जीतने पर विधानसभा में बदलाव जरूर आएगा.

वहीं कृषि वैज्ञानिक देवेंद्र शर्मा का कहना है कि अच्छे आदमी का राजनीति में शामिल होना बहुत जरूरी. जितने अच्छे लोग आएंगे देश की राजनीति भी तभी बदलेगी. उम्मीद है कि राजनीति के सिस्टम को सुधारने में रूचिर जी एक अहम भूमिका निभाएंगे. डगर मुश्किल है लेकिन रूचिर जी अच्छा जरूर करेंगें. वे लोगों और पर्यावरण के प्रति बेहद संवेदनशील है. इस वक्त राजनीतिक पार्टियां जिस तरह से सिर्फ कॉरपोरेट सेक्टर को ही बढ़ावा दे रही. एेसे में ये बुद्धिजीवी पत्रकार राजनीति का रूख जरूर बदलेगा.