दिल्ली. सम्मान औऱ पुरस्कार पाने के लिए किस कदर लांबिंग औऱ सिफारिश होती है, इसके बारे में शायद ही बताने की जरुरत हो. जमाने में ऐसे भी लोग हैं जिनके लिए सम्मान और पुरस्कार कोई मायने नहीं रखते. बात जब देश के सबसे सम्मानित पद्म पुरस्कारों की हो तो हर कोई पदम पुरस्कार पाने की ख्वाहिश रखता है. सिद्धेश्वर स्वामी जी उनमें से एक हैं जिनके लिए सेवा सर्वोच्च है औऱ पुरस्कारों की कोई ख्वाहिश नहीं है उनके मन में.
आध्यात्मिक गुरु सिद्धेश्वर स्वामी जी को हाल ही में घोषित किए गए पदम पुरस्कारों में पदमश्री देने की घोषणा सरकार ने की थी. जब उन्हें इस बात का पता चला तो उन्होंने बेहद विनम्रता से पुरस्कार लेने से मना कर दिया. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि वह एक सन्यासी हैं औऱ इसके चलते उनकी दिलचस्पी पुरस्कारों में बिल्कुल भी नहीं है. स्वामी जी ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री से गुजारिश की कि उनके निर्णय का सम्मान किया जाना चाहिए.
गौरतलब है कि स्वामी जी को इससे पहले भी एक विश्वविद्यालय ने पीएचडी की मानद उपाधि से सम्नानित करने का फैसला किया था लेकिन उन्होंने बेहद विनम्रता से उस उपाधि को लेने से इंकार कर दिया था. उस वक्त भी उन्होंने कहा था कि वे एक सन्यासी हैं औऱ इस किस्म की उपाधियों की उनको कोई जरूरत नहीं है.
स्वामी जी ने बेहद विनम्रता के साथ न सिर्फ पुरस्कार लेने से मना कर दिया बल्कि पुरस्कार के लिए उन्होंने सरकार को धन्यावद देते हुए कहा कि वे उम्मीद करते हैं कि सरकार उनके फैसले को सराहेगी. आज जब सम्मान पाने के लिए लोग हर जतन कर डालते हैं ऐसे में स्वामी जी का ये कदम न सिर्फ अनुकरणीय है बल्कि बेहद सराहनीय है. उनके इस फैसले की हर कोई सिर्फ तारीफ ही कर रहा है.