पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद. जिला प्रशासन के खिलाफ सरपंचों ने मोर्चा खोल दिया है. सरपंघ संघ ने पंचायतों के अधीन किए जाने वाले कई निर्माण कार्य ठेकेदार को देने, मनरेगा के काम में मनमानी को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा और कहा कि काम के अभाव में मजदूर पलायन करने मजबूर हो रहे. अधिकारों का हनन किया जा रहा. सरपंचों ने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने ग्राम पंचायतों की उपेक्षा बंद नहीं की तो आंदोलन करेंगे.

मैनपुर जनपद के सरपंच संघ अध्यक्ष हलमंत ध्रुवा के नेतृत्व में सरपंचों ने कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ के नाम ज्ञापन सौंपकर अपनी नाराजगी जताई. सरपंच संघ ने मांग की है कि 50 लाख तक के सभी निर्माण कार्य पंचायतों को ही दिया जाए.
ठेकेदारी प्रथा बंद कर पंचायतों को सशक्त बनाया जाए. मनरेगा कार्यों का समान रूप से सभी पंचायतों में वितरण हो, ताकि मजदूरों को रोजगार और सम्मानजनक जीवन मिले.

क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य संजय नेताम और लोकेश्वरी नेताम ने सरपंच संघ की मांगों को जायज ठहराते हुए समर्थन किया है. सरपंच संघ ने चेतावनी दी है कि यदि जिला प्रशासन ने पंचायतों की उपेक्षा बंद नहीं की तो यह आंदोलन और व्यापक स्तर पर होगा. ज्ञापन सौंपने वालों में सरपंच संघ अध्यक्ष हलमन धुर्वा, घनश्याम मरकाम, गजेंद्र नेगी, हेमोबाई नागेश, कृष्णा बाई मंडावी, शंकर नेताम, पुनीत नागेश, मुकेश कपिल, अरविंद नेताम, खेलसिंह मरकाम, यशवंत मरकाम, जयराम मांझी, हेमंत नागेश, द्रुप सिंह ओटी, गोरेलाल ध्रुव, हनिता नायक, मालती बाई, उपासिन नागेश, निर्मला ध्रुव, रमशिला बाई सहित और भी सरपंच उपस्थित थे।

ज्ञापन में सरपंच संघ ने कही ये बातें

  1. ग्राम पंचायतों को नजरअंदाज करते हुए महज 1 लाख तक के छोटे-छोटे कार्य भी ठेकेदारों के माध्यम से कराए जा रहे हैं। यहां तक कि मरम्मत और जीर्णोद्धार जैसे छोटे कामों में भी पंचायतों को कोई भूमिका नहीं दी जा रही है।
  2. मनरेगा कार्य आबंटन में भेद भाव – जिले में केवल चिन्हांकित कुछ पंचायतों को ही मनरेगा के कार्य दिए जा रहे हैं, जबकि अधिकांश पंचायतें पूरी तरह उपेक्षित हैं।
  3. मजदूरों में आक्रोश और पलायन– काम के अभाव पंचायतों में ग्रामीणों का आक्रोश सरपंचों पर फूट रहा है, लोग लगातार सवाल कर रहे हैं कि “हमारे पंचायत में काम क्यों नहीं है?”ऐसी स्थिति में मजदूर रोजगार की तलाश में पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं।
  4. 50 लाख तक काम पंचायत का अधिकार – शासन का आदेश स्पष्ट है कि 50 लाख तक के कार्य ग्राम पंचायतों को दिया जाए तो फिर जिला प्रशासन क्यों पंचायतों के अधिकारों का हनन कर रहा है? पूछा है क्या प्रशासन जानबूझकर ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने में लगा है?

जिला पंचायत सदस्यों ने भी रखा अपना पक्ष

जिला पंचायत सदस्य संजय नेताम ने कहा कि निश्चित ही सरपंचों के साथ भेदभाव नहीं होनी चाहिए. सभी पंचायतों को बराबरी से कार्य मिलना चाहिए. पंचायतों के अधिकार छीनकर ठेकेदारों को सौंपना सीधे-सीधे पंचायती राज व्यवस्था पर प्रहार है. पंचायतों को दरकिनार कर जिला प्रशासन न केवल सरपंचों का अपमान कर रहा है बल्कि आम जनता की भावनाओं को भी आहत कर रहा है. हम सरपंचों की इस लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।”

जिला पंचायत सदस्य लोकेश्वरी नेताम ने कहा कि सरकार की मंशा है कि पंचायतों को मजबूत बनाया जाए, लेकिन गरियाबंद जिले में हालात इसके विपरीत हैं. पंचायतों की उपेक्षा से ग्रामीण विकास ठप हो रहा है. विशेषकर महिलाएं और मजदूर वर्ग सबसे अधिक प्रभावित हैं. मैं मांग करती हूं कि जिला प्रशासन तत्काल ठेकेदारी प्रथा बंद करे और पंचायतों को उनका हक लौटाए.

योजनाओं के अनुरूप जैसे काम आएंगे कराए जाएंगे : सीईओ

इस मामले में जिला पंचायत सीईओ प्रखर चंद्राकर ने कहा, मनरेगा के तहत पीएम आवास निर्माण में 90 दिवस काम दिया जा रहा है. इसके अलावा वृक्षारोपण कार्य भी प्राथमिकता में है. शासन की योजनाओं के अनुरूप जैसे कार्य आएंगे कराए जाएंगे. अन्य विभागों के कार्य के बारे में कुछ नहीं कह सकता.