रायपुर। खुले बोरवेल में गिरे बोलने-सुनने में असमर्थ दिव्यांग राहुल साहू को सौ घंटों से ज्यादा समय तक चले ऑपरेशन के बाद सकुशल बचा लिया गया. देश के इतिहास की सबसे लंबे समय तक चले इस रेस्क्यू अभियान को सफल बनाने के पीछे भारतीय सेना, एनडीआरएफ-एसडीआरएफ के साथ स्थानीय प्रशासन का सामूहिक प्रयास था. लेकिन इनमें से कुछ ऐसे किरदार हैं, जिनका जिक्र करना जरूरी है.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

105 घंटे तक चले राहुल साहू के रेस्क्यू ऑपरेशन में अगर सबसे ज्यादा किसी की अहम भूमिका रही तो वह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की रही. उन्होंने राहुल को निकाले जाने की कवायद की कलेक्टर के माध्यम से पल-पल की जानकारी ली. यही नहीं उन्होंने कलेक्टर से मिली जानकारी को ट्वीट के माध्यम से आम जनता से साझा कर अभियान की गति से अवगत कराया. यही नहीं उन्होंने बच्चों के माता-पिता और दादी से चर्चा कर उन्हें शासन-प्रशासन के साथ होने का हवाला देकर हौसला दिया. मुख्यमंत्री के स्तर पर हो रहे प्रयास को देखते हुए अभियान में आने वाली छोटी-मोटी तमाम बाधाएं स्वमेव दूर हो गई.

कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला

राहुल के सफल और सुरक्षित बचाव अभियान में एक शख्स जो पहले दिन से लेकर राहुल को निकाले जाने के अस्पताल रवानगी तक मौके पर नजर आए वह कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला थे. पहले एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के साथ फिर भारतीय सेना के मुहिम में जुड़ने के बाद शासन-प्रशासन के प्रयासों को कोर्डिनेट करने का काम जितेंद्र शुक्ला करते रहे. एक तरफ जमीन पर हो रहे कार्यों की निगरानी और दूसरी ओर मुख्यमंत्री-राज्यपाल के अलावा तमाम लोगों को घटनाक्रम से पल-पल अवगत कराने का काम करते रहे. इन तमाम कवायदों के बीच एक पल के लिए भी उनके चेहरे में थकावट देखने को नहीं मिली. पहले दिन की सक्रियता रेस्क्यू ऑपरेशन के अंतिम पलों तक बरकरार रही.

एसपी विजय अग्रवाल

जांजगीर-चांपा जिले के पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल भले ही पूरे अभियान के दौरान कैमरों के सामने नजर नहीं आए, लेकिन पृष्ठभूमि में किए गए उनके कार्य की चर्चा सब जगह हो रही है. राहुल के बोरवेल से गिरने के बाद से अचानक देश-दुनिया में चर्चा में आए जांजगीर-चांपा में चार दिनों के दौरान कोई भी ऐसी घटना नहीं हुई, जिस पर शासन-प्रशासन की किरकिरी हो. दरअसल, विजय अग्रवाल ने कुछ इस तरह से पुलिस कर्मियों को ड्यूटी सौंपी और मौके पर तैनात किया, जिससे किसी को शिकायत को कोई मौका ही नहीं मिला. काम द्रुत गति से बिना किसी बाधा के संपन्न हुआ.

ओएसडी सक्ती नूपुर राशि पन्ना

सक्ती ओएसडी नूपुर राशि पन्ना वह शख्स है, जो पूरे अभियान के दौरान एक टीम लीडर के तौर पर कार्य करती रहीं. कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला के अनुभव का लाभ लेते हुए जमीन पर सक्रिय टीमों को जोड़ने के अलावा किसी प्रकार से कहीं कोई बाधा आने पर उसे दूर करने का काम करती रहीं. एक बड़े परिदृश्य के बीच नूपुर राशि का बिना किसी हो-हल्ला के किया गया काम राहुल को सुरक्षित बाहर निकालने में मददगार बना.

एडीएम राहुल देव

पूरी तस्वीर में एडीएम राहुल देव भी सक्रिय भूमिका में नजर आए. कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला के दाएं-बाएं हाथ के तौर पर नूपुर राशि और राहुल देव पूरे अभियान के दौरान सक्रिय रहे. अधिकारियों के आदेश को जमीन स्तर पर अमल कराने में राहुल देव की अहम भूमिका रही. इनकी चर्चा मीडिया में नहीं हुई, लेकिन मौके पर मौजूद लोग बताते हैं कि जमीन पर वे अपनी मौजूदगी दिखाने में सफल रहे.

विधायक रामकुमार यादव

रेस्क्यू ऑपरेशन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बाद किसी दूसरे जनप्रतिनिधि की चर्चा हो रही है, तो वो हैं चंद्रपुर के विधायक रामकुमार यादव. अपना विधानसभा क्षेत्र नहीं होने के बावजूद उन्हें मौके पर डटे रहकर ग्रामीणों और राहुल के परिवार से संवाद करते हुए उनका मनोबल ऊंचा बनाए रखे. पूरे चार दिन के दौरान मैदान में डटे रहकर रामकुमार ने लोगों में जनप्रतिनिधियों के प्रति आस्था को बरकरार रखा.

कैमरा संचालक नरेंद्र कुमार चंद्रा

रेस्क्यू अभियान के दौरान राहुल की स्थिति से अवगत कराने में कैमरामैन नरेंद्र कुमार चंद्रा की अहम भूमिका रही. अपने वाटरप्रूफ कैमरे की बदौलत 60 फीट की गहराई में राहुल द्वारा किए जा रहे हलचल से प्रशासन के साथ बचान अभियान में लगी अन्य टीमों को अवगत कराते रहे. कैमरे के बिना राहुल तक पहुंचा और सुरक्षित उसे बाहर निकालना नामुमकिन था, जिसे मुमकिन करने में नरेंद्र कुमार चंद्रा की अहम भूमिका रही.