पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद. मैदानी तैयारी के बगैर ही सुगंधित धान को प्रोत्साहित करने की योजना चलाई गई, जिसके बाद उसकी खुशबू उड़ गई. 346 में से केवल 95 किसान न्याय योजना में पंजीकृत हुए, पर इनकी उपज की खरीदी नहीं हो सकी है. इसलिए कोई सामान्य धान की कीमत पर मंडी में बेच दिया, तो कोई ने उसना चावल बना कर अपने खाने के उपयोग में ला रहा है. वितरण किए गए सुगंधित बीज भी सवालों के घेरे में सुगंधित धान की उपज बढ़ाने और किसान को प्रोत्साहित करने की योजना बीते खरीफ सीजन शुरू किया गया है. लेकिन मामला देख कर लगता है कि धरातल में इसकी तैयारी के बगैर ही योजना का संचालन किया गया है.

जिले में 346 किसानों को सुगंधित धान का वितरण किया गया है. बीज निगम के माध्यम से कृषि विभाग ने छतीसगढ़ सुगंधित नामक बीज प्रति एकड़ 30 किलो के हिसाब से 346 एकड़ रकबे पर बोनी के लिए यह बीज उपलब्ध कराया. निर्देश था कि सुगंधित धान बोनी करने वाले सभी किसानों को 10 हजार रुपए किसान न्याय योजना के तहत दिए जाएंगे. गिरदावरी में सुगंधित धान वाले रकबे की कटौती समर्थन मूल्य के लिए किए गए पंजीयन रकबे से कटौती की जानी थी.

इस योजना के लिए बनाए गए कृषि विभाग के एकीकृत किसान पोर्टल में केवल 95 किसानों का नाम ही दर्ज हुआ है, जो सुगंधित धान की बोनी किए है. यानी 251 किसान ऐसे है जिन्होंने ने अपने रकबे में सुगंधित धान की बोनी तो किया पर गिरदावरी में उनकी कटौती नहीं किया गया.

जिन्होंने बोया, वो ठगा सा महसूस कर रहे-

लेवाल नहीं मिले, तो उसना चावल के लिए उबाल दिया. धान को देवभोग ब्लॉक में सुगंधित धान बोने वाले केवल 13 किसान न्याय योजना के लिए पंजीकृत हुए. कैठपदर के किसान हरिश्चंद ने बताया कि धान में खुशबू नहीं था, सुना था कि 3300 रुपए प्रति क्वीन्टल में सरकार खरीदेगी, कुछ लोगों से संपर्क किया पर धान सुगंध रहित होने के कारण कोई खरीदने तैयार नहीं हुआ. इसलिए उबाल कर उसना चावल बना रहे, घर में खाने का उपयोग करेंगे. ज्यादातर किसान ऐसा ही कर रहे हैं.

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योजना क्या है पता तक नहीं

लदरा के बेनु राम मंगलसिंह, ख़िरसिंह ने भी एक-एक एकड़ में सुगंधित धान लगाया है. इन्हें इतना पता है कि केवल प्रदर्शनी लगाने दिया गया था. रकबा में कटौती हुआ तो पता चला कि सुगंधित धान बोने के कारण, समर्थन मूल्य के लिए पंजीयन रकबा कटा. किसान न्याय योजना के तहत इन्हें 10 हजार प्रति एकड़ मिलेगा यह तक पता नहीं.

गिरदावरी में सुधार करवा लिया ज्यादातर किसानों ने

जब सुगंधित धान की बीज वितरण हुआ तो देवभोग में 80 किसानों ने निशुल्क बीज उठा लिया. विभाग ने जैविक खाद व कीटनाशक भी उपलब्ध कराया. खेतो में जा-जा कर जैविक पध्दति से कैसे बोनी करनी है यह भी बताया. समय पर देख रेख व सलाह देते गए. किसान पंजीयन के सत्यापन के लिए राजस्व टीम जब किसानों तक पहुंची, तब पता चला कि सुगंधित धान का रकबा काटना है, ऐसे में निशुल्क योजना में शामिल किसान साफ मुकर गए. अपने रकबे में सुगंधित नहीं सामान्य धान होना बताया और कटौती नहीं हुई. जबकि कृषि विभाग को विधिवत इसकी सूची रकबा सहित राजस्व को उपलब्ध कराया जाना था. हद्द तो तब हो गई जब गिरदावरी में संसोधित रकबे को कुछ किसानों ने आवेदन देकर फिर से जुड़वा लिया. जिले के सभी ब्लॉक में ऐसा ही हुआ इसलिए 346 में से केवल 95 किसानों का नाम आ सका.

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मैदानी तैयारी कर लागू करना था योजना

इंदिरा गान्धी कृषि विश्व विद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर गजेंद्र चन्द्राकर ने कहा कि मैदानी अमला को इसके लिए टेंड किया जाना था. पहले बगैर तैयारी के क्रियान्वयन कराया गया. ऐसे में किसान हतोत्साहित होंगे. वैसे भी लगातार रासायनिक खाद का उपयोग करने वाले खेतो में एक साल में ही जैविक संभव नहीं है. उस जमीन को तैयार होने में समय लगेगा. सुगंधित किस्म भी अलग अलग होते है. एरोमा की मात्रा यानी सुगंध देने वाले कंटेट कम हो तो भी उस किस्म के धान में सुगंध कम आता है.

न्याय योजना की पहली किश्त 21 मई को

कृषि विभाग के उपसंचालक संदीप भोई ने कहा कि ऑन लाइन जिनका पंजीयन हो गया है, ऐसे किसानों की पूरी रिकार्ड शासन के पास है. न्याय योजना की पहली किश्त 21 मई को मिलना निर्धारित है. किन परिस्थिति में सुगंधित धान के वितरण के अनुपात में पंजीयन कम हुआ है पता करवाते है. गिरदावरी के समय ही इनकी पोर्टल में परिवर्तन हो जाना था. गिरदावरी में कटौती के बाद फिर से रकबा को समर्थन मूल्य में पंजीयन में जोड़ना गलत था.