रायपुर. अगहन के गुरुवार को निष्ठापूर्वक मां लक्ष्मी पूजन से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. वे उपासक के घर स्थायी तौर पर आ जाती हैं. अगहन या मार्गशीष मास का आज दूसरा गुरुवार है. अगहन माह के हर गुरुवार को लक्ष्मीजी की यह पूजा की जाती है. इसके लिए बुधवार की शाम से महिलाएं घर को द्वार से लेकर पूजा स्थान तक विशेष अल्पनाएं तैयार करतीं हैं. गुरुवार शाम को घर के द्वार पर दीपों से रोशनी भी की जाती है.

गुरुवारी पूजा का बहुत महत्व
अगहन महीने की गुरुवारी पूजा का बहुत महत्व है. इसमें मां लक्ष्मी को प्रत्येक गुरुवार को खासतौर पर अलग-अलग पकवानों का भोग लगाने का रिवाज है. इससे उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. 10 नवंबर को अगहन का पहला गुरूवार था. अगहन माह के अंतिम गुरुवार को मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा-अर्चना कर व्रत का समापन किया जाएगा.

श्रीकृष्ण ने भी गीता में बताया इसका विशेष महत्व
अगहन मास को मगसर, मंगसिर, अगहन, अग्रहायण आदि नाम से भी जाना जाता है. ये पूरा मास बड़ा ही पवित्र माना गया है. इसकी महिमा खुद श्रीकृष्ण भगवान ने गीता में बताई है. मान्यता है कि अगहन गुरुवार में मां लक्ष्मी पृथ्वी लोक का विचरण करने आती हैं. इस अवसर पर जो श्रद्धालु घर-द्वार की विशेष साज-सज्जा के साथ मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा-अर्चना करता है, उसे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और महालक्ष्मी सदा उस घर में निवासरत हो जाती हैं.

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