रायपुर। केंद्र सरकार के खनिज मंत्रालय के नए आदेश ने प्रदेश में सियासी हलचल पैदा कर दी है. डीएमएफ कमेटी के अध्यक्ष जिला कलेक्टर, डिप्टी कमिश्नर, जिला दंडाधिकारी ही होंगे. किसी दूसरे व्यक्ति को इसकी जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी. इसके अलावा लोकसभा सदस्य संबंधित जिले की कमेटी में सदस्य के रूप में शामिल होंगे.

प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद डीएमएफ फंड कमेटी के नियम में बदलाव किया गया था. कलेक्टर की जगह जिलों की खनिज न्यास संस्थान में जिले के प्रभारी मंत्री अध्यक्ष बनाया गया था, वहीं कलेक्टर के पास सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. विधायकों को सदस्य के रूप में शामिल किया था. अब केंद्र ने नए नियम के जरिए पुरानी स्थिति बहाल कर दी है.

बाहर नहीं हुए हैं प्रभारी मंत्री

केंद्र सरकार के डीएमएफ को लेकर नियमों में किए गए बदलाव से प्रभारी मंत्रियों की छुट्टी होने की बात से कैबिनेट मंत्री मोहम्मद अकबर इंकार करते हैं. वे कहते हैं कि ऐसी कोई बात नहीं है. इसमें (समिति) सांसद और विधायकों को शामिल किया गया है. प्रभारी मंत्री भी कहीं ना कहीं के विधायक हैं, इसलिए उनकी अनुशंसा के आधार पर भी काम होगा.

व्यवस्था में आएगी पारदर्शिता

केंद्र सरकार के आदेश पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि मैं समझता हूं कि इस व्यवस्था से पारदर्शिता आएगी. डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन का स्ट्रक्चर देखेंगे तो समझ जाएंगे. हमारी सरकार के दौरान भी हमने डीएमएफ में मंत्रियों का हस्तक्षेप नही रखा था. कहीं ना कहीं इसकी आड़ में राजनीतिक गतिविधियां सामने आ ही जाती है. कलेक्टर से विधायक-सांसद खुली चर्चा करते थे.

इसे भी पढ़ें : कोरोना थोड़ा कम क्या हुआ, महापौर, विधायक और पार्षद भूले; ‘दो गज दूरी’ 

छत्तीसगढ़ में हो रहा बंदरबाट

डीएमएफ फंड के आबंटन के लिए कलेक्टरों को अध्यक्ष बनाने के केंद्र के निर्देश पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने कहा कि कांग्रेस सरकार हायतौबा मचाने की जरूरत नही है. छत्तीसगढ़ में बंदरबांट हो रहा है. मंत्री कागज लेकर बैठकर ये काम कर रहे हैं. डीएमएफ की आत्मा मर रही है. डीएमएफ का आशय यह है कि खनिज से प्रभावित गांव का डेवलपमेंट हो.

Read more- Corona Horror: US Administration rejects India’s plea to export vaccine’s raw material