Shani Pradosh Vrat 2025: 4 अक्टूबर 2025 को आने वाला शनि प्रदोष व्रत श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत शुभ संयोग लेकर आ रहा है. आश्विन शुक्ल त्रयोदशी के इस दिन प्रदोष काल शाम 6:03 बजे से रात 8:30 बजे तक रहेगा, जो भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए सर्वोत्तम समय माना गया है. इस बार का व्रत द्विपुष्कर योग और शिववास योग के संयोग में पड़ रहा है, जिससे पूजा का पुण्यफल दोगुना प्राप्त होगा.
इस दिन श्रद्धालु सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें, शिवालय या घर में शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित कर घी का दीपक जलाएं. “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते हुए जल, बेलपत्र, धतूरा, भांग, शहद आदि अर्पित करें. प्रदोष काल में भगवान शिव का अभिषेक करना अत्यंत फलदायी माना गया है. साथ ही, शनि प्रदोष व्रत कथा का पाठ करने से पापों का नाश होता है और शनि दोष, साढ़ेसाती व ढैय्या के प्रभाव कम हो जाते हैं.
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पूजा के अंत में पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाकर शनिदेव की आराधना करनी चाहिए. ऐसा करने से पितृदोष शांति मिलती है, बाधाएं दूर होती हैं और आर्थिक समृद्धि का मार्ग खुलता है. इस व्रत का पालन करने वाले व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति, आत्मबल और सौभाग्य बढ़ता है.
Shani Pradosh Vrat 2025. अंततः, 4 अक्टूबर का यह शनि प्रदोष व्रत केवल एक धार्मिक अवसर नहीं, बल्कि ग्रह दोषों से मुक्ति और ईश्वरीय कृपा प्राप्त करने का सटीक समय है. जो श्रद्धालु पूरे नियम, श्रद्धा और विधि से पूजा करेंगे, उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव निश्चित रूप से आएंगे.
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