शिवम मिश्रा, रायपुर. धर्म और जाति बयानबाजी करने वाले राजनेताओं की शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने क्लास लगाई है. साथ ही उन्होंने कहा, ऐसे नेता जो जाति धर्म के नाम पर लोगों को बांटने वाली बयानबाजी करते हैं, इन्हें संसद में जाने का कोई अधिकार नहीं. धर्म और जाति को लेकर जो राजनेता भेदभाव करता है. वह धर्म निरपेक्ष कैसे रह सकता है, जबकि किसी पद पर पहुंचने पर धर्म निरपेक्षता की शपथ संविधान में ली जाती है.

आगे शंकराचार्य ने कहा, साधुओं को साइड लाइन कर राजनेता खुद धर्म का ज्ञान देने लगे हैं, जो काम धर्म गुरुओं का है उन अधिकारों का उल्लंघन सरकार कर रही है. तथाकथित साधू-सन्यासी, जो राजनीति में प्रवेश करते हैं उन्हें चुनाव में अपनी साधू सन्यासी की पदवी त्याग देना चाहिए. हमारा सविधान हमें, धर्म निरपेक्ष रहने की सीख देता है या तो आप धार्मिक रह सकतें है, या धर्म निरपेक्ष रह सकते हैं.

इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि, राजनीतिक पार्टियां धार्मिक गुरुओं का चोला पहनाकर अपने लोगों को खड़ा कर दिया है. ये धर्म गुरु नहीं, राजनैतिक पार्टी के लोग हैं. धर्माचार्य और धर्म के लिए ये चुनौती का समय बना हुआ है. देश को हिंदू राष्ट्र नहीं राम राज्य के लिए काम करना चाहिए, क्योंकि हिंदू राष्ट्र का कोई स्वरूप नहीं.