रमन कैबिनेट की बैठक इसी महीने में दूसरी बार 24 जुलाई को आयोजित की जा रही है ..इस बैठक में शिक्षाकर्मियों के लंबित मांगो पर चर्चा होगी और शिक्षकों की कमी को देखते हुए सरकार इस बार कोई फैसला ले सकती है.. जिस तरह से पिछले तीन लगातार कैबिनेट की बैठकों में शिक्षकों की कमी को लेकर मंत्रियों के बीच बहस हुई और ज्यादातर मंत्रियों ने शिक्षकों की कमी जल्द से जल्द दूर करने की मांग की, उसको देखते हुए ऐसा लगता है कि इस बार की कैबिनेट की बैठक में शिक्षकों की कमी पर सरकार कोई न कोई फैसला ले ले.. .. एक बार फिर मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति ने पिछले बैठक में आए सुझावों का अध्ययन कर रास्ता तलाशना शुरू कर दिया है.. वित्त विभाग ने भी शिक्षकों की कमी दूर करने में होने वाले व्यय का आकलन करना शुरू कर दिया है.. आपको बता दें कि प्रदेश में विशेषज्ञ शिक्षकों के साथ-साथ व्याख्याता, प्राचार्य और प्रधान पाठकों की कमी बनी हुई है ..कई नियमित शिक्षक आने वाले सालों में लगातार सेवानिवृत्त होने वाले हैं ..ऐसे में प्रदेश में नियमित शिक्षकों की स्थाई तौर पर कमी हो जाएगी ..ऐसे में शिक्षा विभाग को इस बात की चिंता सता रही है कि नियमित शिक्षक नहीं भरे जाने पर शिक्षा विभाग का अस्तित्व ही संकट में आ जाएगा ..ऐसे में सरकार के पास या तो शिक्षाकर्मियों को नियमित करने का विकल्प रहेगा या फिर नियमित शिक्षकों की भर्ती करने पर सरकार विचार कर सकती है ..ऐसी स्थिति में सरकार बीच का रास्ता अपना सकती है.. कुछ पुराने शिक्षाकर्मियों को प्रधानपाठक और प्राचार्य के पदों पर पदोन्नत कर सकती है ,वहीं व्याख्याता और नियमित शिक्षकों की खुली भर्ती भी करने का निर्णय ले सकती है ..अब देखना होगा कि 24 जुलाई को जब मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति अपना सुझाव पेश करेगी और उस पर कैबिनेट मैं विचार-विमर्श होगा, तब सरकार किस फार्मूले को अपनाती है, जिससे प्रदेश में लंबे समय से शिक्षकों की कमी की समस्या दूर हो सके।