Germany Open Beson Para-Arm Wrestling Cup 2025: भारत के गौरव और छत्तीसगढ़ के होनहार पैरा आर्म रेसलर श्रीमंत झा ने एक बार फिर देश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। उन्होंने Germany Open Beson पैरा-आर्म रेसलिंग कप 2025 में शानदार प्रदर्शन करते हुए +80 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक (Gold Medal) जीतकर न केवल इतिहास रचा, बल्कि अपनी इस जीत को देश के वीर शहीद जवानों को समर्पित किया।

बता दें कि यह प्रतिष्ठित प्रतियोगिता 17 से 19 अक्टूबर 2025 तक जर्मनी में आयोजित हुई। फाइनल मुकाबले में श्रीमंत झा ने जर्मनी के मौजूदा विश्व चैंपियन एरिक हॉप्पे (Eric Hoppe) को हराकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया।

अपनी जीत के बाद श्रीमंत झा कहा- यह पदक मेरे लिए सिर्फ जीत नहीं, बल्कि हमारे देश के उन अमर वीरों को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने भारत माता की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। मैं हर मुकाबला हमारे शहीद जवानों के सम्मान और तिरंगे की शान के लिए खेलता हूं।

उन्होंने कहा कि आगे उनका लक्ष्य हंगरी में होने वाले पैरा आर्म रेसलिंग वर्ल्ड कप (Hungary) में स्वर्ण पदक जीतकर भारत का नाम और ऊँचा करना है।

जर्मनी के विश्व चैंपियन को हराकर बनाई अपनी पहचान

श्रीमंत झा ने न केवल जर्मनी के विश्व चैंपियन को हराया, बल्कि अपनी अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियों में एक और गौरवशाली नाम जोड़ लिया। वे दुनिया के तीसरे और एशिया के नंबर एक पैरा आर्म रेसलर हैं। अब तक उन्होंने भारत के लिए 58 अंतरराष्ट्रीय पदक अपने नाम किए हैं। इस जीत के साथ ही श्रीमंत झा ने वर्ल्ड कप के लिए क्वालीफाई भी कर लिया है।

पीपल्स आर्म रेसलिंग फेडरेशन इंडिया की अध्यक्षा प्रीति झींज्ञानी, छत्तीसगढ़ आर्म रेसलिंग संघ के अध्यक्ष जी. सुरेश बाबे, चेयरमैन बृज मोहन सिंह, सचिव श्रीकांत, कृष्ण साहू और कोच राजू साहू ने श्रीमंत झा को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दीं।

श्रीमंत झा ने की छत्तीसगढ़ सरकार से खास अपील

श्रीमंत झा ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि उन्हें सरकारी नौकरी प्रदान की जाए। इसका उद्देश्य न केवल उनके परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करना है, बल्कि आने वाले ओलंपिक और अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों की तैयारी पर पूर्ण ध्यान केंद्रित करना भी है।

युवाओं के लिए प्रेरक संदेश

श्रीमंत झा ने युवा खिलाड़ियों को संदेश देके हुए कहा कि “देश के लिए कुछ करने का सपना देखो और उसके लिए दिन-रात मेहनत करो। हार का डर छोड़ो, कड़ी मेहनत और समर्पण से हर मंज़िल पाई जा सकती है।”

श्रीमंत झा की इस ऐतिहासिक जीत ने छत्तीसगढ़ और भारत का नाम अंतरराष्ट्रीय मंच पर गौरव के साथ रोशन किया है और युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी है।

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