रायपुर. श्री गणेश विनायक आई हॉस्पिटल ने अपने सामाजिक दायित्व का पालन करते हुए ग्रेसियस कॉलेज के नर्सिंग छात्रों के साथ श्री गणेश विनायक अस्पताल में मानव श्रृंखला बनाकर नेत्रदान के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाई. मौके पर प्रमोद दुबे पूर्व महापौर और वर्तमान अध्यक्ष नगर निगम रायपुर, सुखनंदन सिंह राठौर एएसपी रायपुर, डॉ. विनय जायसवाल विधायक चिरमिरी व निदेशक श्री गणेश विनायक आई हॉस्पिटल, डॉ. अनिल के गुप्ता, डॉ. चारुदत्त कलमकर और डॉ. अमृता मुखर्जी सह-निदेशक श्री गणेश विनायक आई हॉस्पिटल उपस्थित रहे.

कार्यक्रम में पूर्व महापौर प्रमोद दुबे ने नेत्रदान के लिए लोगों को प्रोत्साहित करते हुए कहा, नेत्रदान सबसे बड़ा दान है, जो किसी के जीवन में प्रकाश ला सकता है. उन्होंने मानव श्रृंखला के माध्यम से जागरूकता फैलाने की इस अद्भुत पहल के लिए डॉ. अनिल की सराहना की. एसएसपी सुखनंदन सिंह राठौर ने इस पहल से अभिभूत हुए. उन्होंने कहा कि यदि हम में से प्रत्येक अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को पूरा करता है तो हम एक साथ एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं. नेत्रदान वैश्विक अंधेपन के सबसे बड़े बोझ को उठाने का एकमात्र तरीका है. देशभर मे अंधेपन के लगभग 35 लाख मामले हैं, जिसमें हर साल 30000 नए मामले जुड़ रहे हैं.

जागरूकता अभियान में भाग लेने वाले डॉ विनय जायसवाल, विधायक चिरमिरी व राज मंत्री ने कहा, नेत्रदान इस विश्वास से प्रेरित है कि गुणवत्तापूर्ण नेत्र देखभाल प्रत्येक नागरिक का अधिकार है. श्री गणेश विनायक ने उत्कृष्ट पहल की है. नेत्रदान पखवाड़ा एक पखवाड़े का कार्यक्रम है, जो वर्ष में एक बार नेत्रदान के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए होता है. यह सबसे बड़ा दान है, क्योंकि मृत्यु के बाद एक व्यक्ति की आंखों का उपयोग दो कॉर्नियल नेत्रहीन रोगियों के इलाज के लिए किया जा सकता है और वे इस खूबसूरत दुनिया को देख सकते हैं. जरूरतमंद मरीज के लिए फिर से दुनिया देखना आनंद है और नेत्रदान इस सपने को संभव बनाता है.

प्रसिद्ध नेत्र सर्जन डॉ. अनिल के गुप्ता, निदेशक श्री गणेश विनायक आई हॉस्पिटल ने नेत्रदान के बारे में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता के बारे में बोलते हुए कहा, यदि सांख्यिकी पर विश्वास किया जाए तो भारत में 35 लाख से अधिक कोर्निया नेत्रहीन लोग हैं और लगभग 25000 से अधिक लोग सालाना प्रभावित होते हैं. नेत्रदान की वर्तमान दर को देखते हुए भारत को कॉर्नियल ब्लाइंडनेस को पूरी तरह से खत्म करने में 112 साल लगेंगे. ऐसे रोगियों के लाइन-अप और इलाज के लिए इंतजार दिन-ब-दिन लंबा होता जाता है. यह चुनौती का सामना करने और बहुत जरूरी बदलाव लाने का समय है. गणेश उत्सव के 11 दिनों के दौरान नेत्रदान के माध्यम से हम प्रत्येक भारतीय के लिए गुणवत्तापूर्ण नेत्र देखभाल सुनिश्चित करना चाहते हैं और दान की गई आंखों और कॉर्नियल प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे संभावित प्राप्तकर्ताओं के बीच की खाई को पाटना चाहते हैं. फॉर्म अस्पताल में उपलब्ध है. जो इच्छुक हैं वे फॉर्म भर सकते हैं.