सुप्रिया पांडेय, रायपुर। राजधानी के कालीबाड़ी स्थिति काली मंदिर में नवरात्रि पर सामूहिक तौर पर सिंदूर खेला रस्म नहीं होगी, सिर्फ प्रतीकात्मक रूप से सिंदूर खेला की रस्म निभाई जाएगी. वहीं मंदिर परिसर में देवी की स्थापना भी नहीं होगी. यहां 87 वर्ष की परंपरा टूटी है. यह फैसला बंगाली कालीबाड़ी समिति ने लिया है. बता दें कि नवरात्रि में हर वर्ष कालीबाड़ी में भव्य आयोजन होता है.

बंगाली कालीबाड़ी समिति के सचिव आशीष कांति ने बताया कि 87 वर्ष की पुरानी परंपरा टूटी है. हर वर्ष यहां 14 फीट की दुर्गा मां की प्रतिमा पूरे परिवार के साथ स्थापित की जाती थी. लेकिन इस वर्ष कोरोना की वजह से हमने निर्णय लिया है कि इस वर्ष मूर्ति स्थापित नहीं करेंगे, इस बार हम सिर्फ कलश रख कर घट पूजा कर रहे है. सभी नियम यथावत होंगे जैसे माता की पूजा होती है. सिंदूर खेला की रस्म भी प्रतीकात्मक रूप से की निभाई जाएगी. फेसबुक लाइव के माध्यम से लोग अपने घरों में रस्म निभा सकेंगे.

वहीं काली मंदिर के पूजारी श्रीकांत ने कहा कि मां काली की पूजा होगी उनके नाम पर सिर्फ एक ज्योत जलाई जाएगी. पूर्व में जब कोरोना नहीं फैला था, तब 101 ज्योत जलाई जाती थी.

नये ज्योति कलश का शुल्क स्वीकार नहीं करेंगे- महामाया मंदिर ट्रस्ट

महामाया देवी मंदिर सार्वजनिक न्यास रायपुर ने शारदीय नवरात्रि में नये ज्योति कलश का शुल्क स्वीकार नहीं करने का निर्णय लिया है. वहीं चैत्र नवरात्रि के लिए श्रद्धालुओं द्वारा पूर्व में जमा शुल्क के ज्योति कलश को प्रज्ज्वलित किया जाएगा. मंदिर ट्रस्ट द्वारा जारी सूचना के अनुसार, जिन श्रद्धालुओं के नाम से ज्योति कलश प्रज्ज्वलित होगी, उसकी सूची मंदिर के मुख्य द्वार के बाहर चस्पा की जाएगी.

इस वर्ष 17 से 25 अक्टूबर तक शारदीय नवरात्रि में विश्वव्यापी महामारी कोविड -19 के परिपेक्ष्य में जारी शासकीय दिशा निर्देशों का पूर्णतया पालन करते हुए मंदिर ट्रस्ट द्वारा व्यवस्था बनाई गई है. जिसके अंतर्गत मातेश्वरी की आरती एवं दर्शन का लाभ श्रद्धालु भक्त मंदिर परिसर के प्रमुख द्वार में लगे स्क्रीन के माध्यम से कर पाएंगे, जिसकी व्यवस्था ट्रस्ट कमेटी द्वारा की जा रही है.