अमृतांशी जोशी,भोपाल। ड्रग्स तस्करों का नेटवर्क दिन-ब-दिन फैलता ही जा रहा है. ‘उड़ता पंजाब’ की तरह ‘उड़ता भोपाल’ बन रहा है. तस्करी के लिए तस्कर नए-नए तरीके इजात कर रहे हैं. अब कुरियर के जरिए राजधानी में नशे की खेप (Smuggling of drugs through courier) पहुंच रही है. जिसे पकड़ना मुश्किल था, लेकिन शातिर अपराधियों ने ही इसकी पोल खोल दी. नशे की खेप के बदलते पैटर्न को देखते हुए पुलिस भी सक्रिय हो गई है. जिससे इनके नेटवर्क को तोड़ा जा सके. हाल ही में क्राइम ब्रांच ने ड्रग्स के दो अलग-अलग मामलों में तस्करों को पकड़ा था.

दरअसल मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल (Bhopal) में ड्रग्स की तस्करी (drug trafficking) में पकड़ाए आरोपियों से पूछताछ में बड़ा खुलासा हुआ है. पुलिस की दबिश से बचने के लिए तस्करों ने नया तरीका अपनाया है. कुरियर कंपनी में पास्कल चैक करने की व्यवस्था नहीं है, इसलिए तस्करों ने आसान रास्ता अपनाया. कुरियर के जरिए ड्रग्स की तस्करी करने लगे. उत्तराखंड से MDMA एक पार्सल कुरियर कंपनी के ज़रिये ही मंगवाया था. क्राइम ब्रांच ने अन्य राज्यों के सभी जांच एजेंसियों को भी जानकारी भेजी है.

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क्राइम ब्रांच एडिशनल DCP शैलेंद्र सिंह चौहान का कहना है कि भोपाल क्राइम ब्रांच लगातार ड्रग्स तस्करों पर कार्रवाई कर रही है. पिछले दो मामले में तस्करों की गिरफ्तारी हुई थी. जिनसे पूछताछ में जो तथ्य सामने आए वह चौंकाने वाले थे. ड्रग तस्कर पार्सल के जरिए ड्रग्स की तस्करी करते थे. जिसकी जांच की जा रही है. इस मामले में संबंधित विभाग और कंपनियों को सूचित किया गया है.

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विभाग या कंपनी इस बात का खास ध्यान रखें और चेकिंग करें कि पार्सल में मादक पदार्थ की सप्लाई ना हो. पहले ड्रग्स का परिवहन ट्रेन के डब्बे, ट्रक में, निजी वाहन में करते थे. अब तस्कर नए-नए तरीके अपनाते रहते हैं. जिसका तोड़ पुलिस निकालती रहती है. पार्सल सिस्टम को स्कैन किया जाए या कोई अन्य सुविधा निकाली जाए, जिससे यह तस्करी बंद हो जाए.

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बता दें कि नशा बेचने वाले पहले अच्छे परिवारों के स्कूल-कॉलेज के छात्रों से दोस्ती करते हैं और उन्हें मुफ्त में नशा चखाते हैं. जब उन्हें ड्रग्स पसंद आने लगता है, तो वे ग्राहक बन जाते हैं और पैसों के लिए ड्रग्स की तस्करी भी करने लगते हैं. यह जाल तेजी से फैल रहा है. युवा इसके ज्यादा शिकार हो रहे हैं. गली मोहल्ले में नशा बिकने लगा है.

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