नई दिल्ली. मोहब्बत की निशानी कहे जाने वाले ताज महल के संरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अख्यितार किया है. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने संरक्षण और रखरखाव पर सरकारी उदासीनता पर कहा कि अगर इसे संभाल नहीं सकते हैं तो ढहा दीजिए. गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से ताज की चमक फीकी पड़ती जा रही है जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट लगातार सख्ती दिखा रहा है.

जस्टिस मदन भीमराव लोकुर ने ताज के संरक्षण और रखरखाव को लेकर केंद्र सरकार और उसके संस्थान ASI की उदासीनता पर गुस्सा जताते हुए कहा कि अगर इसे संभाल नहीं सकते तो इसे ढहा दीजिये. नाराज़ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक ओर फ्रांस के एफ़िल टॉवर को देखने 80 मिलियन लोग आते है, जबकि ताजमहल के लिए सिर्फ 5 मिलियन, आप लोग ताजमहल को लेकर गंभीर नहीं है और न ही आपको इसकी परवाह है. आप टूरिस्ट को लेकर गंभीर नहीं है. आपकी वजह से ये देश का नुकसान हो रहा है, ताजमहल को लेकर घोर उदासीनता है.

क्योंकि आपको ताज को बचाने, टूरिस्टों के लिए सुविधा जुटाने से ज़्यादा इसे बिगाड़ने की चिंता है. तभी तो आपने उद्योग लगाने की अर्ज़ियां ले ली हैं. सुप्रीम कोर्ट ने फिर सवाल उठाया कि Taj Trapezium Authority (TTZ) में उद्योग लगाने के लिए लोग आवेदन कर रहे है और उनके आवेदन पर विचार भी हो रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा PHD चेंबर्स को कहा कि जो इंडस्ट्री चल रही है उसको क्यों ना आप खुद बंद करें. TTZ की तरफ से कहा गया कि वो अब TTZ में कोई नई फैक्ट्री खोलने की इजाजत नहीं देगा, सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि TTZ कुछ नई फैक्ट्रियों के आवेदन पर विचार कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने TTZ के चेयरमैन को नोटिस जारी कर सुप्रीम कोर्ट में तलब किया है.

इससे पहले भी पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार ने इसके लिए योजना पेश की थी. हलफनामे में केंद्र सरकार ने बताया था कि ताजमहल के संरक्षण और आगरा के विकास के लिए कई योजनाएं सरकार ने तैयार की हैं. इनमें आगरा में डीजल जनरेटर पर पाबंदी, CNG वाहनों पर ज़ोर, प्रदूषण पर नियंत्रण और पॉलीथिन पर पाबंदी जैसे कदम भी शामिल हैं. इसके अलावा आगरा महायोजना 2021 के तहत डबल रिंगरोड के साथ नेशनल हाइवेज को चौड़ा किया जा रहा है. इसके अलावा पौधे लगाने, प्रदूषणकारी उद्योगों की शिफ्टिंग सहित कई और योजनाए हैं, जिनसे ना केवल ताज को संरक्षित रखा जा सकेगा बल्कि पर्यटकों को भी सुविधा मिलेगी.

गौरतलब है कि ताज महल का मुद्दा सिर्फ पर्यटन ही नहीं बल्कि राजनीतिक तौर पर भी चर्चा में रहता है. कई बार बीजेपी नेता इस प्रकार का बयान दे चुके हैं, जिसमें उन्होंने ताज महल को शिव मंदिर बताया है. कुछ लोगों ने इसे तेजोमहालय भी बताया गया था. अभी कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि ताज महल सात अजूबों में शामिल है, यहां नमाज नहीं पढ़ सकते हैं. नमाज किसी और जगह भी पढ़ सकते हैं. हालांकि, स्थानीय नमाजी अभी भी नमाज पढ़ सकते हैं. जिसके बाद बाहरी लोगों के नमाज पढ़ने पर पाबंदी हो गई थी.