प्रतीक चौहान. रायपुर. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के RPF में मानों सब कुछ संभव है. यहां अपने चहेते इंस्पेक्टरों की सजा माफ भी कर दी जाती है… और ‘आम’ न पहुंचाने वाले खास को ‘आम’ बनाने के लिए भी जी तोड़ मेहनत की जाती है. लेकिन बावजूद इसके रेल मंत्रालय के उच्च पदस्थ आरपीएफ अधिकारियों की जानकारी में SECR चल रहे तमाम प्रकरणों की जानकारी नहीं है !
सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जोन में इन दिनों एक खास वर्ग के इंस्पेक्टरों का राज चल रहा है और उन्हें फायदा पहुंचाने के लिए तमाम नियम कायदों को ताक में रखे जा रहे है. यहां अब आरपीएफ स्टॉफ और इंस्पेक्टर की सजा बढ़ाई जा रही है वो भी उस मामले में जिसमें उन्हें पहले सजा दी जा चूकी है. लेकिन जब अपने खास इंस्पेक्टर की बारी आती है तो मानो आरपीएफ के अधिकारियों को सांप सुंघ लेता है.
सूत्र बताते है कि पूरे भारतीय रेलवे में आरपीएफ इंस्पेक्टरों के प्रमोशन होने वाले है. इस प्रमोशन लिस्ट में जो अधिकारी टॉप पर थे उनकी सजा बढ़ा दी गई, जिसका फायदा अब उनके नीचे मौजूद अधिकारियों को होगा.
जिस इंस्पेक्टर की सजा बढ़ाई गई है उन्हें पहले एक प्रकरण में सजा दी जा चुकी थी. अब सवाल ये है कि अचानक से ऐसा क्या हुआ कि जिस मामले में पहले सजा दी गई थी बाद में उसी प्रकरण में उस चार्जशीट को रद्द कर दूसरी चार्जशीट देकर सजा बढ़ा दी गई.
सूत्र बताते है कि बिलासपुर में अधिकारियों की ऑफिस में कई लोग पुटअप हो रहे है, जिन्हें पहले चार्जशीट मिल चुकी थी उन्हें फिर से (अपने चहेतो को छोड़कर) बुलाया जा रहा है.
वहीं राजनांदगांव से एक महिला एएसआई को भी कंपलसरी रिटायरमेंट दे दिया गया है. इसके अलावा नागपुर रेल मंडल के ही मोतीबाग पोस्ट से भी एक स्टॉफ को कंपलसरी रिटायरमेंट की खबर है. हालांकि मोतीबाग के मामले में स्टॉफ मानसिक रूप से ड्यूटी के लिए अनफिट बताया जा रहा है.
इसके अलावा राजनांदगांव की जिस महिला एएसआई को कंपलसरी रिटायरमेंट दिया गया है उसकी चंद शिकायतें अधिकारियों को मिली थी. उक्त स्टॉफ ने भी कुछ वर्षों पहले पार्किंग के एक विवाद में शिकायत की थी, जिसमें इंस्पेक्टर भी शामिल थे.
भाटापारा के एक ASI को चार्टशीट के बाद सजा मिली, उन्होंने सजा कम कराने के लिए उच्च अधिकारियों को अपील की, लेकिन इसके बाद उनकी सजा और बढ़ा दी गई और उन्हें डिमोशन दिया गया.