रायपुर. गरियाबंद जिले के ग्राम फुलकर्रा के 36 ग्रामीण परिवारों का बहिष्कार कर हुक्का-पानी बंद कर दिया गया है. इस मामले में अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा, यह अनुचित है. सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ विधानसभा में सक्षम कानून बनाने की आवश्यकता है.

डॉ. दिनेश मिश्र ने बताया पीड़ित परिवार ने जानकारी दी है कि उनके खिलाफ ग्राम कोसमबुडा में पंचायत बैठाकर हुक्का-पानी बंद कर दिया गया है. साथ ही गांव के लोगों को चेतावनी दी गई है कि इनके परिवार वालों से कोई भी बातचीत करेगा उसे जुर्माना देना होगा और यदि कोई उनके घर जाता है तो उसे भी जुर्माना लगाया जाएगा. ऐसे में अब इन परिवारों से लोगों ने दूरी बना ली है. कोई इस परिवारों के दुःख सुख में कोई शामिल नहीं होगा. फिरतु राम कंवर, रामकुमार कंवर का पूरा परिवार अलग-थलग पड़ गया है.

मामले की शिकायत थाना पीपरछेड़ी, एवं पुलिस अधीक्षक गरियाबंद से की जा चुकी है, पर इस संबंध में कोई कानून न होने से सक्षम कार्यवाही नहीं हो पाई है. अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा कि,हमारे यहां सामाजिक और जातिगत स्तर पर सक्रिय पंचायतों द्वारा सामाजिक बहिष्कार के मामले लगातार सामने आते रहते हैं.ग्रामीण अंचल में ऐसी घटनाएं बहुतायत से होती है, जिसमें जाति व समाज से बाहर विवाह करने, समाज के मुखिया का कहना न मानने, पंचायतों के मनमाने फरमान व फैसलों को सिर झुकाकर न पालन करने पर किसी व्यक्ति या उसके पूरे परिवार को समाज व जाति से बहिष्कार कर दिया जाता है.

डाॅ. मिश्र ने कहा, कुछ मामलों में तो स्वच्छता मित्र बनने पर, तो कहीं आरटीआई लगाने पर भी समाज से बहिष्कृत कर दिया गया है. पूरे प्रदेश में 30 हजार से अधिक व्यक्ति सामाजिक बहिष्कार जैसी कुरीति के शिकार हैं. अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति सामाजिक बहिष्कारजैसी सामाजिक कुरीति के खिलाफ जनजागरण एवं प्रताडित लोगों की मदद के लिए पिछले कुछ वर्षों से लगातार कार्य कर रही है. कुछ परिवारों का बहिष्कार समाप्त करने में सफल भी हुई है, पर बहिष्कृत परिवारों की संख्या बहुत अधिक है और उनका पुनः समाज में शामिल होना, पुनर्वास के लिए एक सक्षम कानून की आवश्यकता है. आगामी विधानसभा सत्र में सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ कानून बनाने की मांग की है.

डॉ. मिश्र ने आगे कहा कि सामाजिक बहिष्कार के कारण विभिन्न स्थानों से आत्महत्या, हत्या, प्रताडना व पलायन की खबरें लगातार आती रहती है. इस संबंध में अब तक कोई सक्षम कानून नहीं बन पाया है इसलिए ऐसे मामलों में कोई उचित कार्यवाही नहीं हो पाती है न ही रोकथाम का कोई प्रयास होता है. सामाजिक बहिष्कार के मामलों के आँकड़े को लेकर नेशनलक्राइम रिकार्ड ब्यूरो, राज्य सरकार, पुलिस विभाग के पास कोई अब तक रिकार्ड जानकारी नहीं है. ऐसी जानकारी सूचना के अधिकार के अंतर्गत प्राप्त हुई है, जबकि ऐसी घटनाएं लगातार होती है. इस संबंध में सामाजिक बहिष्कार प्रतिषेध अधिनियम को विधानसभा सत्र में सामाजिक बहिष्कार के संबंध में सक्षम कानून बनाने के लिए पहल करे, ताकि अनेक प्रताडितों को न्याय मिल सके.

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