खेतों में उपज कम होती है तो किसान पर आर्थिक बोझ आ जाता है. खेतों के उपज कम होने के अनेक कारण होते हैं, जिनमें से एक प्रमुख कारण है मिट्टी की खराब गुणवत्ता. फसलों की उपज को बढ़ाने के लिए मिट्टी में खनिज पदार्थों की उचित मात्रा होनी आवश्यक है. खनिजों की उचित मात्रा तथा मिट्टी की गुणवत्ता को परखने के लिए प्रयोगशाला में मिट्टी की जांच कराना अति आवश्यक होता है.

मिट्टी जांच के बाद किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया जाता है। जिसमें मिट्टी में पाये जाने वाले सभी पोषक तत्वों का विवरण दिया जाता है। साथ ही मिट्टी में जिन पोषक तत्वों की कमी होती है उसकी भरपाई करने के तरीके भी बताये जाते है। इसकी जानकारी देते हुए मिट्टी जांच प्रयोगशाला के अधिकारियों की माने तो मिट्टी में 17 प्रकार के पोषक तत्व पाये जाते है। जिसमें 12 तत्व महत्वपूर्ण होते है। मिट्टी जांच के बाद जिन पोषक तत्वों की कमी होती है, उसके बारे में किसानों को विस्तार से बताया जाता है। साथ ही खेतों में पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए आवश्यक रसायनिक व जैविक खाद का अनुशंसा भी किया जाता है। इसके आधार पर खेती करने वाले किसान कम खर्च में अच्छी पैदावार हासिल करते है।

अनभिज्ञता में उपजाऊपन पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है

कृषि वैज्ञानिकों के अनसुार यदि फसल की उपज अच्छी नहीं होती तो हमें सबसे पहले मृदा परीक्षण कर लेना चाहिए. यह एक तरह का मिट्टी का एक्सरे होता है, जिससे ये पता चलता है कि मिट्टी का रासायनिक विन्यास क्या है? मिट्टी में किस पोषक तत्व की कमी या अधिकता है. कृषि अधिकारी के अनुसार कभी कभी अनभिज्ञता की स्थिति में किसान समझ नहीं पाता कि खेतों में किस पोषक तत्व की कितनी मात्रा की जरूरत है. जिस पोषक तत्व की अधिकता होती उसी को बार बार खेतों में डालता चला जाता है. इससे खेतों के उपजाऊपन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. खेतों में पोषक तत्वों की मात्रा को जानने के लिए मृदा परीक्षण अति आवश्यक है.

इस तरह ले मृदा का सैंपल

मृदा परीक्षण के लिए खेत के चारों कोने से 1 मीटर छोड़कर खेत में 5 जगह से मिट्टी लेनी चाहिए. यह मिट्टी खेत के चारों तरफ और खेत के बीचों- बीच लगभग 6 इंच का गड्ढा खोदकर ली जानी चाहिए. उसके बाद इस मिट्टी को तबतक मिलना चाहिए, जब तक कि मिट्टी आधा किलो न हो जाए. इसके बाद इस मिट्टी को प्रयोगशाला में परिक्षण के लिए भेजा जाना चाहिए. इसमें 29 रुपए मृदा परीक्षण और 102 रुपए में सभी पोषक तत्वों की जांच की जाती है. मिट्टी के संकलन के लिए हर पंचायत में कर्मचारी नियुक्त है. मिट्टी की संरचना को जानने के बाद हम उस मिट्टी में उचित पोषक तत्व डाल कर उसकी गुणवत्ता को बढ़ा सकते तथा फसलों के अच्छे उत्पादन को प्राप्त कर सकते हैं.