अनिल मालवीय, इछावर। Madhya Pradesh सीहोर के इछावर के जंगलों में हरे भरे पेड़ों की अवैध कटाई की जा रही है। जिससे जंगल खत्म हो रहे है। साथ ही पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है। हैरान करने वाली बात तो ये है कि यह सब कुछ वन अमले की नाक के नीचे हो रहा रहा है, इसके बावजूद कोई भी जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहा और लोग हरे भरे पेड़ों को काटकर वनभूमि को खेतों में तब्दील कर रहे है। यही कारण है कि कुछ समय पहले जहां विशालकाय पेड़ों का घना जंगल हुआ करता था, आज वहां दूर-दूर तक पहाड़ और खेत नजर आ रहे है। पेड़-पौधों के नष्ट होने से वन्यप्राणियों के अस्तित्व पर भी खतरा मंडराने लगा है।

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वनपरिक्षेत्र इछावर में जंगलों का तेजी से सफाया किया जा है। वनपरिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले नादान, बालूपाट, मांडलगढ़, इमली पठार, अलीपुर, डूंडलाव, गादिया, मगरपाट आदि क्षेत्रों में विभाग की उदासीनता के कारण वन माफिया और अतिक्रमणकारी जंगल का तेजी से सफाया कर रहे है। हरे भरे पेड़-पौधे खासकर सागौन के पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है। हरियाली पर दिन-रात कुल्हाड़ी चलाकर जंगल को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। वहीं बड़ी संख्या में लकड़ी चोर दिन दहाड़े जंगल में घुसकर पेड़ों की कटाई करते है और फिर उनकी चरपट बनाकर मोटरसाइकिल, चार पहिया वाहन में भरकर दूर-दराज शहरों में सप्लाई करते है।

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वन माफिया और अतिक्रमणकारी के रोजाना बड़ी संख्या में पेड़ काटे जाने से जंगल का क्षेत्रफल तेजी से कम हो रहा है। साथ ही वन्यप्राणियों के जीवन पर भी खतरा मंडरा रहा है। लोगों का कहना है कि कुछ समय पहले यह जंगल इतना घना था कि 8-10 फीट के बाद कुछ नहीं दिखता था, लेकिन अब पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण दूर-दूर तक स्पष्ट दिखाई दे रहा है। जंगल खेत का आकार ले चुके है।

अतिक्रमण की चपेट में सैकड़ों हेक्टेयर वन भूमि

नादान, कुतरीखाल, इमली पठार, मंडल गढ़, सिराली, बालूपाट, अलीपुर, सनकोटा आदि गांव जंगल में ही बसे है। ऐसे में अधिकांश ग्रामीणों ने वनकर्मियों से सांठगांठ कर वन भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया और जंगल को नष्ट कर के भूमि पर खेत बना लिए। यह सिलसिला अभी भी बदस्तूर जारी है। 4 साल पहले जिस व्यक्ति के पास 2-3 एकड़ भूमि थी, आज उसके पास करीब 15-20 एकड़ भूमि है।

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जानकारी के अनुसार, अतिक्रमणकारी पहले पेड़ों को काटते है फिर ठूंठों को जला देते है। इसके बाद भूमि को खेत में तब्दील कर लेते है। सूत्रों की माने तो पिछले 15 सालों में 40 फीसदी से अधिक जंगल बर्बाद हो गया है। साथ ही वनभूमि कम हो गई है। प्रतिदिन वनक्षेत्र पर अतिक्रमण हो रहा है। लोगों का मानना है कि यदि इसी प्रकार से पेड़ों की कटाई होती रही तो कुछ ही वर्षों में जंगल पूरी तरह से नष्ट हो जाएगा और वन्यप्राणी विलुप्ति की कगार पर पहुंच जाएंगे। उनका कहना है कि वन विभाग को अवैध कटाई और अतिक्रमण पर रोक लगाने के लिए ठोस कार्रवाई करनी चाहिए।

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