शब्बीर अहमद,भोपाल/निशांत राजपूत,सिवनी। मध्यप्रदेश के सिवनी में आदिवासी मॉब लिंचिंग मामले की सरकार जांच करेगी. राज्य सरकार ने 3 अधिकारियों का जांच दल गठित कर दिया है. गृह विभाग के एसीएस राजेश राजौरा समेत दो अन्य अधिकारी जांच दल में नियुक्त किया गया है. राज्य औद्योगिक सुरक्षा बल के एडीजी अखेतो सेमा समेत आईएएस श्रीकांत भनोत मामले की जांच करेंगे. एसआईटी की टीम 15 और 16 मई को सिवनी जाएगी. सिवनी एसपी कुमार प्रतीक भी हटा दिए गए हैं. बादलपार थाना स्टाफ भी बदला जाएगा.

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दरअसल सिवनी जिले के कुरई थाना अंतर्गत आने वाले सिमरिया गांव में 2 आदिवासियों की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी. अब मामले में बड़ी कार्रवाई की गई है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बादलपार थाना स्टाफ को हटाने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही सिवनी एसपी कुमार प्रतीक पर भी गाज गिर गई है. तत्काल प्रभाव से सिवनी एसपी को हटा दिया गया है.

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बीजेपी जिला अध्यक्ष आलोक दुबे ने प्रेस वार्ता में यह जानकारी दी है. बता दें कि आदिवासी हत्याकांड के बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने बीजेपी जांच दल का गठन किया था. इसके बाद जांच रिपोर्ट सौंपने के बाद यह कार्रवाई की गई है. अब सीएम के आदेश के बाद एसआईटी का भी गठन हो गया है, जो अब पूरे मामले की जांच करेगी.

इस मामले में पूर्व सीएम औऱ प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने भी शिवराज सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि सिवनी ज़िले में दो आदिवासियों की हत्या के मामले में सरकार की नींद 12 दिन बाद खुली है. वह भी कांग्रेस व आदिवासी वर्ग के दबाव में यह निर्णय लिया गया है. पहले सरकार पूरे मामले में लीपा पोती में लगी रही थी. आरोपियों को बचाने वाले बयान ज़िम्मेदार देते रहे, प्रशासन को क्लीन चिट देते रहे और अब सरकार आज एसआईटी जाँच की घोषणा कर रही है?

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अभी भी जो घोषणा हुई है वो अधूरी है. कई ज़िम्मेदारों को बचा लिया गया है. दोषी अधिकारियों का निलंबन हो. एसआईटी जाँच की बजाय उच्च स्तरीय जाँच की घोषणा हो. आरोपियों का भाजपा से जुड़े संगठनों से कनेक्शन सामने आये. नेमावर कांड में भी इसी प्रकार सरकार सीबीआई जाँच से बचती रही और छह माह बाद सरकार ने सीबीआई जाँच की माँग मानी. पता नहीं क्यों शिवराज सरकार आदिवासी भाइयों की इतनी विरोधी है. वह उनको न्याय दिलाना ही नहीं चाहती है.

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