फीचर स्टोरी । छत्तीसगढ़ का दक्षिण बस्तर कुपोषण की मार दशकों से झेल रहा है. कुपोषण से संघर्ष की यहाँ ढेरों कहानियाँ हैं. सही पोषण आहार नहीं मिलने से इलाके आदिवासी बच्चें कमजोर और अस्वस्थ हो जाते रहे हैं. हालांकि बीते कुछ वर्षों में अब स्थिति में बहुत सुधार हुआ है. खास तौर पर भूपेश सरकार ने तो कुपोषण से मुक्ति को तो एक अभियान की तरह ही लिया है. सुपोषित छत्तीसगढ़ का सपना संजोय भूपेश सरकार ने अभियान की शुरुआत ही दंतेवाड़ा से 2019 में की थी. आज बस्तर इलाके में कुपोषण में भारी कमी आ चुकी है. कुछ साल पहले तक बस्तर जैसे इलाके में कुपोषण 50 प्रतिशत से अधिक था, लेकिन अब यह आँकड़ा घटकर 20 प्रतिशत तक पहुँच गया है.


32 प्रतिशत बच्चे हुए कुपोषण मुक्त

महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से जारी किए गए आँकड़े के मुताबिक छत्तीसगढ़ में जनवरी 2019 की स्थिति में चिन्हांकित कुपोषित बच्चों की संख्या 4 लाख 33 हजार 541 थी, इनमें से मई 2021 की स्थिति में लगभग एक तिहाई 32 प्रतिशत अर्थात एक लाख 40 हजार 556 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए है.

करीब 19 फीसदी तक की कमी

विभाग की ओर से यह बताया गया है कि प्रदेश में वजन त्यौहार जुलाई 2021 के अनुसार राज्य में केवल 18.84 प्रतिशत बच्चे कुपोषित पाए गए हैं. यदि एनएफएचएस-4 से तुलना करते हैं तो कुपोषण में छत्तीसगढ़ में लगभग 18.86 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है. यह आँकड़ा निश्चित ही बहुत ही सुखद है. कुपोषण की ऐसी एक सुखद कहानी आपको इस रिपोर्ट में बताने जा रहे हैं.

इस तरह कुपोषण मुक्त हुई दानी

यह कहानी है दानी यानी दानिका यादव की. घर में सब प्यार से दानी ही बुलाते हैं. दानी नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में भैरमगढ़ की रहने वाली है. दानी भी उन बच्चों में से एक है, जो जन्म के दौरान कमजोर और कुपोषित थी. दानी के कुपोषित होने की जानकारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शिप्रा नंदनी को मिली.

शिप्रा नंदनी दानी के घर भैरमगढ़ में राम नारायण यादव और सुंदरी यादव के यहाँ पहुँची. दानी के माता-पिता ने बताया कि दानी का जन्म 5 जुलाई 2020 को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भैरमगढ़ में हुआ था. जन्म के समय उसका वजन 1.700 किलोग्राम था. वह गंभीर रूप से कमजोर पैदा हुई थी. माँ का दूध भी कम आने से उसे सुपोषण नहीं मिल पाया.

शिप्रा ने इसके बाद घर वालों को कुपोषण के बारे में समझाते हुए बताया कि बच्चे कमजोर और बीमार न हों और महिलाओं में खून की कमी यानी एनीमिया न हो इसके लिए सरकार ने कुपोषण मुक्ति का संकल्प लिया है. इसके लिए राज्य सरकार मुख्यमंत्री सुपोषण योजना चला रही हैं. दानी को भी इसी योजना में अब शामिल किया जा रहा है. दानी को कुपोषण से मुक्त कराने की जिम्मेदारी अब हमारी है.

शिप्रा नंदनी के मुताबिक दानी को सुपोषित श्रेणी में लाना एक गंभीर चुनौती थी. क्योंकि दानी बच्ची थी और उसे माँ ही आंगनबाड़ी केंद्र में ला सकती थीं. लेकिन वह शुरुआती दिनों में दानी को लेकर नहीं आती थीं. हमें दानी के परिवार को समझाने काफी वक्त लगा. काफी समझाने के बाद हमने दानी को 15 दिनों के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र में रखा. साथी ही दानी की माँ को भी पूर्ण पोषण आहार देने की व्यवस्था की गई.

दानी की मां को हर दिन आंगनबाड़ी से मूंगपल्ली चिक्की और गर्म भोजन दिया गया. साथ ही रेडी टू ईट को विभिन्न व्यंजन बनाकर खाने की सलाह दी गई. जनवरी माह में दानी यादव का अन्नप्राशन आंगनबाडी केन्द्र में कराया गया. इसका परिणाम हुआ कि 9 माह में ही दानी यादव सामान्य श्रेणी में आ गई. अप्रैल 2021 में दानी का वजन 7 किलो हो गया और सितंम्बर में एक किलो और बढ़ गया.

आज दानी कुपोषण से मुक्त हो गई है. दानी की माँ भी अब पूरी तरह से स्वस्थ है. दानी की माँ कहती है कि वास्तव में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान ने तो जैसे जीवन भर का संकट ही हर लिया है.

ये है सुपोषण आहार

अतिरिक्त पोषण आहार में गर्म भोजन के साथ अंडा, लड्डू, चना, गुड़, अंकुरित अनाज, दूध, फल, मूंगफली और गुड़ की चिक्की, सोया बड़ी, दलिया, सोया चिक्की और मुनगा भाजी से बने पौष्टिक और स्वादिष्ट आहार दिये जा रहे हैं.