कोई देश कितना विकसित है, इसके तीन पैमानों में स्वास्थ्य, आर्थिक खुशहाली के साथ शिक्षा भी शामिल हैं. कोई देश यदि शिक्षा में निवेश करता है, तो भविष्य में उसे अपने निवेश पर कई गुना लाभ प्राप्त होता है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के उज्ज्वल भविष्य के लिए स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल के रूप में ऐसा निवेश कर दिया है, जिसका लाभ आने वाली अनेक पीढ़ियों को सुखद भविष्य के रूप में मिलता रहेगा. एक राजमर्मज्ञ आने वाले समय की नब्ज को पहचानता है. दुनिया तेजी से ग्लोबल विलेज बन रही है और यह प्रक्रिया तेजी से गति ले रही है. जो समय की नब्ज को पकड़कर उसके साथ कदमताल कर लें वो विजेता होगा. ग्लोबल विलेज की भाषा है अंग्रेजी. हमारे छत्तीसगढ़ के बच्चों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं, लेकिन अंग्रेजी में चूक जाते हैं. माता-पिता चाहते हैं कि वो भी उच्च वर्ग और उच्च-मध्यम वर्ग की तरह बच्चों को अच्छी अंग्रेजी शिक्षा दे पाएं, लेकिन पब्लिक स्कूल की मोटी फीस वहन करना उनके लिए संभव नहीं था.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस बाधा को तोड़ दिया. केवल अंग्रेजी की पढ़ाई ही नहीं, उच्च गुणवत्ता के साथ अंग्रेजी की पढ़ाई. अंग्रेजी की पढ़ाई केवल रायपुर जैसे महानगर में न हो बल्कि ग्रामीण और वनांचल क्षेत्रों में भी हो. गांव का बच्चा क्यों अंग्रेजी शिक्षा से वंचित रहे, इसका दायरा गांव तक फैल गया. लाइब्रेरी की सुविधा नामी-गिरामी निजी स्कूल तक ही सीमित क्यों रहे, सर्वसुविधायुक्त लाइब्रेरी हमारे हर आत्मानंद स्कूल में भी है. यही नहीं आत्मानंद स्कूल में सुंदर खेल परिसर हैं, जहां से नामचीन खिलाड़ी भी निकल सकते हैं. आधुनिक सुविधाओं वाले प्रैक्टिकल लैब हैं, जहां इस पीढ़ी के सीवी रमन तैयार होंगे. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हमेशा कहते हैं कि प्रतिभा तो है संसाधन नहीं दोगे तो यह कैसे उभरेगी. मुख्यमंत्री ने स्कूलों को संसाधनों से समृद्ध किया है. मुख्यमंत्री चाहते हैं कि हमारी पीढ़ी अंग्रेजी भाषा के साथ-साथ हमारी संस्कृति से भी जुड़ी रहे इसलिए अंग्रेजी माध्यम के साथ-साथ हिंदी माध्यम के आत्मानंद स्कूल भी खोले जा रहे हैं. साथ ही स्थानीय बोलियों को पाठ्यक्रम से जोड़ा गया है, इससे हमें अपनी संस्कृति, परम्पराओं और स्थानीयता पर भी गर्व होगा और अपने ग्लोबल पहचान के प्रति भी हम जागरूक होंगे.

प्रदेश में स्वामी आत्मानंद स्कूल की शुरूआत सबसे पहले 03 जुलाई 2020 को हुई. इसी वर्ष अलग-अलग शहरों में 52 स्कूल खोले गए. उस समय यहां प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या कम थी. फिर भी प्रथम वर्ष में आवेदन की संख्या 20 हजार से अधिक थी. धीरे-धीरे स्कूल की गुणवत्ता की चर्चा होने के साथ यहां आवेदन की संख्या बढ़ती गई. वर्ष 2022-23 में दो लाख 76 हजार से अधिक आवेदन मिले हैं. परिस्थितियों को देखते हुए स्कूलों की संख्या भी बढ़ाई गई. इस समय प्रदेश में 279 स्कूल संचालित हैं, जिसमें अंग्रेजी माध्यम के 247 और हिन्दी माध्यम के 32 स्कूल हैं. यही नहीं आने वाले शैक्षणिक सत्र में 439 हिन्दी माध्यम के स्वामी आत्मानंद स्कूल खोलने की योजना है.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा थी कि छत्तीसगढ़ में ऐसे शिक्षण संस्थान हो जहां निजी स्कूल जैसी उत्कृष्ट सुविधाएं हो, वहां मध्यम और निर्धन वर्ग के पालक अपने बच्चों को पढ़ा सकें. इसे मूर्त रूप देने पुराने सरकारी स्कूलों को ही चिन्हित किया गया. इन स्कूलों में सबसे पहले आधारभूत संरचना को मजबूत किया गया. पुरानी बिल्डिंग का पुनरूद्धार किया गया. क्लास रूम को नया रूप प्रदान किया गया जहां पर कभी पुराने ब्लैक बोर्ड थे, वहां पर ग्रीन बोर्ड लगाए गए, कुछ जगह स्मार्ट बोर्ड ने जगह ले ली. पुराने बैंच-टेबल की जगह नए कम्फर्ट बैच-डैस्क की व्यवस्था की गई. साइंस के आधुनिक साज-सामानों के साथ नए प्रैक्टिकल लैब बनाए गए. एक्स्ट्रा कैरिकुलम एक्टिविटी को बढ़ावा दिया गया.

शिक्षण संस्था के लिए सबसे महत्वपूर्ण शिक्षक की जरूरतें पूरी की गई. अन्य स्कूलों से प्रतिनियुक्ति पर अंग्रेजी माध्यम के शिक्षक लिए गए. यहीं नहीं संविदा में विषय-विशेषज्ञ शिक्षकों की भर्ती की गई. शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए. बच्चों को पढाने के लिए स्मार्ट बोर्ड का उपयोग किया गया. इससे बच्चे ऑडियो-विजुअल पद्धति से अध्ययन करने लगे, जिससे उन्हें विषय को समझने में आसानी हुर्ह, उनकी ग्रहण क्षमता बेहतर हुई.

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विद्यार्थियों की दर्ज संख्या की बात करें, तो इसमें बेहतरीन परिणाम सामने आए. राजधानी रायपुर के बीपी पुजारी स्कूल में शुरूआत में जहां पूर्व में बच्चों की संख्या सिर्फ 100 के आस-पास थी, वहां अब 1000 से अधिक हो गई. बिलासपुर जिले के आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल तारबाहर की बात करें तो वहां तत्कालीन स्कूल में दर्ज संख्या करीब 124 थी, वहीं आत्मानंद स्कूल में परिवर्तित होने के बाद विद्यार्थियों की संख्या बढ़कर लगभग 800 हो गई. हर वर्ग से बच्चों के स्कूल में प्रवेश की निरंतर मांग आने लगी. इसे देखते हुए स्कूल प्रबंधन को लाटरी सिस्टम की मदद लेनी पड़ी. विद्यार्थियों की दर्ज संख्या वर्ष 2021-22 में जो एक लाख 41 हजार 745 थी. वह अब 2022-23 में बढ़कर 2 लाख 31 हजार 403 हो गई.

स्वामी आत्मानंद स्कूल योजना ने छत्तीसगढ़ में शैक्षणिक वातावरण ही बदल दिया है. यहां अध्ययनरत छात्र-छात्राएं महसूस कर रहे है कि उन्हें आगे बढ़ने के वह सारे अवसर मिल रहे हैं जो एक महानगर की सर्वसुविधायुक्त गुणवत्तायुक्त प्राइवेट स्कूलों में है, वह भी निःशुल्क. इनके परिणाम इतने सकारात्मक हैं कि मुख्यमंत्री भेंट-मुलाकात अभियान के दौरान वे जिन-जिन स्थानों पर जा रहे है, वहां जनता ने इस स्कूल के लिए धन्यवाद दिया. साथ ही नए स्कूलों की मांग भी की. स्वामी आत्मानंद छत्तीसगढ़ की महान विभूति थे, जिन्होंने आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा की अलख जगाई, जो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रयासों से छत्तीसगढ़ के कोने-कोने में पहुंच गई है. निश्चित ही प्रदेश सरकार द्वारा किया गया यह प्रयास छत्तीसगढ़ को शिक्षा के क्षेत्र में देश में उच्च स्थान पर स्थापित करेगी.

लेखक – सचिन शर्मा, सहायक जनसंपर्क अधिकारी