फीचर स्टोरी। छत्तीसगढ़ में गोबर, सिर्फ गोबर नहीं रहा, बल्कि यह धन बरसाने वाला वस्तु बन चुका है. गोबर आज छत्तीसगढ़ में ग्रामीण अर्थव्यवस्था के साथ-साथ अनेक लोगों के जीवन को बदलने काम कर रहा है. राज्य में जब से गोबर को गोधन की संज्ञा दी गई है, तब से ही गोबर मूल्यवान हो चुका है. इस योजना के तहत अब तक 47 करोड़ से अधिक भुगतान गोबर विक्रेताओं को किया जा चुका है. यह योजना आज ग्रामीण अर्थव्यस्था को एक नया आयाम दे रहा है.

छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना की शुरुआत राज्य के सबसे बड़े लोक पर्व में से एक हरेली के मौके पर हुई थी. योजना के शुरू होने के बाद कई तरह की चर्चाएं भी हुई. कुछ लोगों ने इस योजना की आलोचना करते हुए यह भी कह दिया कि सरकार ने गुड़-गोबर कर दिया. कुछ लोगों ने यह भी कहा कि क्या सरकार अब राज्य के लोगों से गोबर संग्रहण का काम करवाएगी. युवाओं से गोबर बेचवाएगी.

सरकार ने इन आलोचनाओं से दूर गोधन न्याय योजना के सफल क्रियान्वयन पर ध्यान दिया. सरकार ने गोबर खरीदी की समुचित व्यवस्था के साथ ही भुगतान की तैयारियाँ शुरू की. और महज 15 दिनों में ही सरकार ने 46 हजार अधिक गोबर विक्रेताओं को 1 करोड़ 65 लाख की राशि का भुगतान कर दिया. इसके बाद से तो हर 15 दिनों में भुगतान का सिलसिला चल पड़ा.

सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक अब तक राज्य में 5454 गौठान निर्मित है, जिसमें से 3677 गौठानों में गोबर की खरीदी की जा रही है. अब तक 23 लाख 68 हजार 900 क्विंटल गोबर क्रय किया गया है. इस खरीदी के तहत 47 करोड़ 38 लाख रुपये का भुगतान किया जा चुका है.

गौठानों को आजीविका ठौर के रूप में विकसित करें- भूपेश बघेल

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि सभी विभागों के प्रयास से गौठान और गोधन न्याय योजना का राज्य में सफल क्रियान्वयन हो रहा है और इसका लाभ ग्रामीणों, किसानों, पशुपालकों सहित समाज के गरीब तबके के लोगों को मिलने लगा है. आज गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन और विक्रय भी शुरू हो चुका है. इससे अब महिला समूहों को भी लाभ मिलने लगेगा. जरूरी है कि इसे आजीविका केन्द्र के रूप में विकसित करने की दिशा में हम सभी इसी तरह से मिलकर काम करते रहें.

प्रत्येक जिले में प्रयोगशाला की स्थापना- रविन्द्र चौबे

कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे का कहना है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल गोधन न्याय योजना के तहत प्रत्येक पखवाड़े में गोबर खरीदी की राशि का भुगतान कर अपने वादे को निभा रहे हैं. इस योजना के तहत अब तक 47.38 करोड़ रूपए का भुगतान गोबर बेचने वाले ग्रामीणों एवं गौपालकों को किया जा चुका है. यह समाज के जरूरतमंद एवं गरीब लोगों को सीधा लाभ पहुंचाने वाली योजना है. उन्होंने कहा कि गौठानों में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट की गुणवत्ता की जांच के लिए राज्य के प्रत्येक जिले में प्रयोगशाला की स्थापना की जा रही है. गौठानों के आजीविका मिशन से जोड़ने की कार्ययोजना है. उन्होंने गौठानों में आजीविका मूलक गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जिलों में स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र को 10-10 गौठानों से तथा एग्रीकल्चर, डेयरी एवं मत्स्य महाविद्यालयों को भी गौठानों से जोड़ने की बात कही.

8 हजार से अधिक क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट खाद का उत्पादन- डॉ. एम. गीता

कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. एम.गीता की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक कि वर्मी खाद के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए गौठानों में वर्मी टांको का निर्माण तेजी से कराया जा रहा है. अब तक 44 हजार से अधिक टांके बनाए जा चुके है, जबकि 16 हजार टांके निर्माणाधीन है. गौठानों में 8 हजार से अधिक क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट खाद का उत्पादन हुआ है. जिसमें से एक हजार क्विंटल खाद की बिक्री हो चुकी है. शेष खाद की मात्रा की पैकेजिंग एवं विक्रय प्रक्रियाधीन है. उन्होंने बताया कि गोधन न्याय योजना शुरू होने से बीते 3 माह में सक्रिय गौठानों की संख्या में लगभग 1 हजार की बढ़ोत्तरी हुई है.

गोबर से हुई अतिरिक्त कमाई से मिस्त्री ने पत्नी के लिए खरीदा मंगलसूत्र

बहुत से गरीब कामकाजी लोगों के लिए गोबर अतिरिक्त कमाई जरिया बन चुका है. जैसे का कवर्धा निवासी तीरथ साहू को ले लीजिए. तीरथ साहू मूल रूप से राजमिस्त्री हैं. लेकिन इसके साथ-साथ अब वे गोबर संग्रहण कर उसे बेचकर अतिरिक्त कमाई में भी जुट गया है. नतीजा ये हुआ कि उन्होंने अपनी पत्नी का वो मांग भी पूरी कर दी है, जिसे खरीदने के लिए वो हर कोशिश में जुटा रहता था. तीरथ पत्नी को सोने का मंगलसूत्र देना चाहता था, लेकिन उसके घर खर्च के बाद इतने पैसे नहीं होते थे कि वे उसे पूरा कर पाते. लिहाजा उन्होंने गोधन न्याय योजना से जुड़कर गोबर संग्रहण और उसके विक्रय का काम किया. नतीजा ये कि इससे उसे 22 हजार 150 रुपये की आय हुई. इस अतिरिक्त आय से वे अपनी पत्नी के लिए मंगलसूत्र खरीदने में कामयाब रहे.

गोबर बेच चरवाहा कमा रहा है प्रतिमाह 25 हजार

पाटन तहसील के मर्रा में रहने वाला कामता प्रसाद चरवाहे काम करता है. चरवाहे के रूप में उन्हें गाँवों वालों से साल भर में उसे 40 से 50 हजार रुपये तक आय होती है. लेकिन आज कामता प्रसाद महीने में 25 हजार रुपये तक कमा रहा है. दरअसल कामता प्रसाद की यह कमाई गोबर बेचकर हो रही है. कामता प्रसाद का कहना है कि बीते दो महीने में वो 50 हजार रुपये तक का गोबर बेच चुका है. इस राशि का उन्हें भुगतान भी हो चुका है. वह यह भी कहता है कि उसने कभी इतनी राशि इक्कठे एक साथ नहीं पाई थी. इसके लिए भूपेश सरकार का आभार जताते हुए कहता है कि गोधन न्याय योजना उसके जीवन में बदलाव लेकर आई है. अब वह परिवार भरण-पोषण बेहतर ढंग से कर सकेगा.

महिला समूह भी जुड़ी गोधन न्याय योजना से

विकासखंड पाली के ग्राम रैनखुर्द की महिलाएं गोधन न्याय योजना से बहुत खुश है. इस योजना को उन्होंने किसान हितैषी और ग्रामीणों की आय का अतिरिक्त जरिया बताया. ग्राम रैनखुर्द की नंदनी यादव कहती हैं कि उनके पास सात मवेशी है, जिससे वह लगभग 35 किलो गोबर एक दिन में बेच रही है. इस योजना से हमारे समूह की महिलाओं को भी आर्थिक लाभ हो रहा है. गोबर बेचने से होने वाली अतिरिक्त आय से आर्थिक स्थिति में सुधार के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है.