रायपुर। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का 84 साल की उम्र में आज दिल्ली के आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च एंड रेफरल में निधन हो गया। ब्रेन में थक्का जम गया था, जिसके ऑपरेशन के लिए उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। आर्मी अस्पताल में 10 अगस्त को उनकी सर्जरी हुई थी। इसके साथ ही वे कोरोना वायरस से भी संक्रमित हो गए थे। जिसके बाद से उनकी हालत लगातार बिगड़ते जा रही थी। पूर्व राष्ट्रपति की मौत के बाद देश में शोक का माहौल है। देश के सभी राज्यों से उन्हें चाहने वाले उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। बहुत कम लोगों को यह मालूम होगा कि प्रणब दा एक पत्रकार के रुप में भी कार्य कर चुके हैं। आईये बताते हैं आपको पत्रकार से लेकर राष्ट्रपति तक भारत रत्न प्रणब मुखर्जी के जीवन का सफरनामा।

आइये जानिये उनका सफरनामा

प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल में हुआ था। वे देश के तेरहवें राष्ट्रपति थे। उन्होंने यूपीए उम्मदीवार के तौर पर प्रतिपक्षी उम्मीदवार पीए संगमा को हराकर 25 जुलाई 2012 को भारत के तेरहवें राष्ट्रपति के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली।

प्रणब मुखर्जी का जन्म पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले में किरनाहर शहर के निकट स्थित मिराती गाँव के एक ब्राह्मण परिवार में कामदा किंकर मुखर्जी और राजलक्ष्मी मुखर्जी के यहाँ हुआ था। उनके पिता 1920 से कांग्रेस पार्टी में सक्रिय होने के साथ पश्चिम बंगाल विधान परिषद में 1952 से 64 तक सदस्य और वीरभूम (पश्चिम बंगाल) जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रह चुके थे। उनके पिता एक सम्मानित स्वतन्त्रता सेनानी थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन की खिलाफत के परिणामस्वरूप 10 वर्षो से अधिक जेल की सजा भी काटी थी।

कलकत्ता विश्वविद्यालय से उन्होंने इतिहास और राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर के साथ साथ कानून की डिग्री हासिल की। वे एक वकील और कॉलेज प्राध्यापक के रुप में भी कार्यरत रहे थे। इसके अलावा एक पत्रकार के रूप में भी उऩ्होंने कार्य किया। वे बांग्ला प्रकाशन संस्थान देशेर डाक (मातृभूमि की पुकार) में भी काम किये।

प्रणब मुखर्जी का राजनीतिक कैरियर पांच दशक से भी ज्यादा पुराना है। वे 1969 में कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए थे। जिसके बाद 1975, 1981, 1993 और 1999 में वे फिर से चुने गये। 1973 में वे औद्योगिक विकास विभाग के केंद्रीय उप मन्त्री के रूप में मन्त्रिमण्डल में शामिल हुए। 1984 में वे भारत के वित्तमंत्री बनाए गए।

पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वे योजना आयोग के उपाध्यक्ष बनाए गए और उसके बाद  1995 से 1996 तक पहली बार विदेश मन्त्री के रूप में कार्य किया। 1997 में उन्हें उत्कृष्ट सांसद चुना गया। इसके साथ ही उन्होंने रक्षा, वित्त, विदेश, राजस्व, नौवहन, परिवहन, संचार, आर्थिक मामले, वाणिज्य और उद्योग, समेत अनेक मंत्रालयों का दायित्व बखूबी निभाया। 26 जनवरी 2019 को उन्हें भारत रत्न के सम्मान से नवाजा गया।

प्रणब मुखर्जी ने भारतीय अर्थव्यवस्था से लेकर एक देश के निर्माण जैसे विषयों पर कई किताबें लिखी हैं। ‘The Turbulent Years- 1980-1996’, ‘The Coalition Years’, ‘The Dramatic Decade: The Indira Gandhi Years’,  ‘Thoughts and Reflections’ उनकी कुछ चर्चित किताबें रही हैं।

(सौजन्य- विकिपीडिया)