फीचर स्टोरी. बस्तर नैसर्गिक सुंदरता के लिए विश्व प्रसिद्ध है. बस्तर खनिज संसाधनों के लिए विश्व प्रसिद्ध है. बस्तर आदिम लोक-परंपरा-संस्कृति के लिए विश्व प्रसिद्ध है. लेकिन यही बस्तर नक्सल प्रभावित क्षेत्र के लिए भी प्रसिद्ध है. पिछड़ेपन और कुपोषण के लिए भी प्रसिद्ध है. ऐसे बस्तर में अब बहुत कुछ बदल रहा है, या यह कहिए कि सबकुछ बदल रहा है. पिछड़ेपन से बस्तर काफी आगे निकल रहा है. कुपोषण का दाग बस्तर से मिट रहा है. नक्सल का भी अब हल निकल रहा है. विलुप्त होती लोक-परंपरा और संस्कृति पुनर्जीवित हो रही है. कदम-कदम पे प्रगति-तरक्की परलक्षित हो रही है. बस्तर में अब विकास अपार है, क्योंकि सरकार पहुंची नदी के उस पार है.

जी हाँ सरकार नदी के उस पार तक पहुँच गई, जहाँ ये माना जाता है कि वहाँ नक्सलियों की हुकूमत चलती है. जहाँ ये माना जाता है कि लोकतंत्र से चुनकर आने वाली सत्ता से अलग, बंदूक की नोक वाली सरकार चलती है. ऐसी जगहों तक अब भूपेश सरकार की पहुँच विकास के रास्ते हो गई है. सरकार अंदरुनी इलाकों तक जाने वाली सड़कों को मुख्य मार्ग से जोड़ रही है. सरकार नदी पर सेतु निर्माण कर आदिवासियों से ये बोल रही है. हाँ अब तुम पीछे नहीं रहोगे, अब तुम दुख-दर्द और न सहोगे, होगा वही तुम्हारे वास्ते, जो तुम चाहोगे, जो तुम कहोगे.

ये सच भी है कि बस्तर के आदिवासी जैसा चाहते हैं सरकार वैसा ही काम कर रही है. आदिवासियों की हर मांग को भूपेश सरकार लगातार पूरा कर रही है. इसके कई उदाहरण इन तीन वर्षों में देखने को मिले हैं. मसलन दंतेवाड़ा से कुपोषण के खिलाफ सुपोषण महाअभियान, मलेरिया मुक्त अभियान, हाट-बाजार क्लिनिक योजना का आगाज. ऐसे ही कई और छोटी-बड़ी योजनाएं जिसकी शुरुआत बस्तर से हुई है.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विकास के सभी पैमानों पर प्राथमिकता साथ बस्तर को रखा है. बीते 3 वर्षों मुख्यमंत्री भूपेश गणतंत्र दिवस के मौके पर अनेक सौगते बस्तर ही प्रदेशवासियों को देते आ रहे हैं. इस वर्ष भी मुख्यमंत्री इसी बस्तर प्रदेशवासियों के लिए दर्जन भर अधिक बड़ी घोषणाएं की. इन घोषणाओं में बस्तर के हिस्से भी कई बड़ी चीजें आई हैं. तो वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कई विकासकार्यों का लोकार्पण भी किया है.

बस्तर में विकास अपार में आइये आपको बताते हैं कि किस तरह से बस्तर की एक नई और सुंदर छवि विश्व पटल में बनते जा रही है.

छिंदनार से बहार और अबूझमाड़

दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा स्थित छिंदनार स्थित इंद्रावती नदी में सेतु निर्माण के साथ विकास का एक नया द्वार अबूझमाड़ के रास्ते खुल गया है. 47 करोड़ रूपए की लागत से बने छिंदनार पुल बस्तर अंचल की जनता को समर्पित कर दिया गया है. यह पुल दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर, बस्तर जिले को और बस्तर को अबूझमाड़ से जोड़ेगा. इस पुल के बन जाने से इंद्रावती नदी के दोनों तरफ के न सिर्फ गांव जुड़े हैं, बल्कि इससे विकास और बुनियादी सुविधाएं आम जनता तक पहुंचने लगी है. इन्द्रावती नदी के पार वाले गांवों में अब वक्त जरूरत पर लोगों को 108 संजीवनी एक्सप्रेस और 102 महतारी एक्सप्रेस, 112 की सुविधाएं मिलने लगी है. इसके माध्यम से अब गांवों में आंगनबाड़ी, स्कूल भवन निर्माण, विद्युतीकरण जैसे कार्य तेजी से होने लगे हैं.

स्वर्गीय पोसेराम कश्यप के नाम

छिंदनार पुल के पर नव-निर्मित पुल को इसके निर्माण में बलिदान देने वाले पाहुरनार के पूर्व सरपंच स्वर्गीय पोसेराम कश्यप के नाम से जाना जाएगा.

नदी के उस पार की पंचायतों केलिए 10 करोड़ रूपए

इन्द्रावती नदी के उस पार की ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों के लिए 10 करोड़ रूपए की राशि दी गई गै. वहीं कुंआकोण्डा में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के नवीन भवन निर्माण के लिए 2.50 करोड़, कटेकल्याण के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के जीर्णोंद्धार के लिए 2 करोड़ रूपए, स्वरोजगार के लिए 5 करोड़ रूपए की राशि दी गई है. इसके साथ ही दंतेवाड़ा स्थित मां दंतेश्वरी मंदिर परिसर में चंदखुरी कौशल्या माता मंदिर की तर्ज पर ज्योति कलश कक्ष का निर्माण होगा.

कटेकल्याण और कारली में अब डेनेक्स गारमेंट फैक्टरी

कटेकल्याण और कारली में अब डेनेक्स गारमेंट फैक्टरी की स्थापना हो गई है. दंतेवाड़ा जिले में एक वर्ष के भीतर इन दोनों गारमेंट फैक्टरियों को मिलाकर कुल चार नई फैक्टरियां प्रारंभ हो चुकी है. इससे पहले हारम और बारासूर में गारमेंट फैक्टरी शुरू हुई थी. गारमेंट फैक्टरियों के माध्यम से अब तक 30 करोड़ रूपए के मूल्य के कपड़े की आपूर्ति पूरे देश में की जा चुकी है.

36 क्वाटर्स रिडेवलपेंट के तहत 138 आवासों के निर्माण की रखी आधारशिला

भूपेश बघेल ने जगदलपुर के फुटबाल मैदान सिटी ग्राउंड में 36 क्वाटर्स रिडेवलेपमेंट के तहत 138 आवासों के निर्माण की आधारशिला रखी. जर्जर हो चुके 36 क्वार्टर्स को ध्वस्त कर हाउसिंग बोर्ड द्वारा यहां भव्य बहुमंजिला इमारत बनायी जाएंगी. जिसमें भूतल के अलावा 6 मंजिल का निर्माण किया जाएगा. इसमें 48 आवास 3 बेडरुम, हाल, किचन युक्त तथा 90 आवास 2 बेडरुम, हाल, किचन वाले होंगे. इनमें आधे आवास शासकीय कर्मचारियों को आबंटित किए जाएंगे तथा आधे आवास निजी तौर पर विक्रय के लिए उपलब्ध होगा.

शहीद गुंडाधुर तीरंदाजी अकादमी

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर के महानायक शहीद गुंडाधुर के नाम पर तीरंदाजी अकादमी खोलने का ऐलान किया है. इससे बस्तर के आदिवासी युवाओं को एक बड़ा अवसर मिलेगा. वहीं उन्होंने जगदलपुर के करीब ग्राम परपा में कोया कुटमा समाज के लिए दो एकड़ और हल्बा समाज के लिए 33 डिस्मिल जमीन का सामुदायिक वन अधिकार पत्र प्रदान किया. बता दे कि सरकार की ओर से बस्तर में आदिवासियों के विकास के साथ ही उनकी संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण और संवर्द्धन की दिशा में तेजी से कार्य किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में आसना में बस्तर एकेडमी ऑफ डांस, आर्ट एवं लिटरेचर की स्थापना भी की गई है, जो बादल एकेडमी के नाम से प्रसिद्ध है.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि हमारी सरकार छत्तीसगढ़ सहित समूचे बस्तर के विकास के लिए कृतसंकल्पित है तथा बस्तर के विकास में कोई भी कसर नहीं छोड़ी जाएगी. श्री बघेल ने कहा कि हम सब मिलकर जनभावनाओं के अनुरूप गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ के तर्ज पर एक खुशहाल, समृद्ध एवं शांतिपूर्ण बस्तर का निर्माण कर विकास की गंगा बहाएंगे.

 

वास्तव में बस्तर में ऐसे ढेरों काम बीते वर्षों में हुए जिसे गिनाने बैठें तो शब्द कम पड़ जाएंगे. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में आदिवासी इलाकों में विकास की जो बयार देखने को मिलने है उससे यह प्रतीत होता है कि जल्द ही बस्तर में नक्सल समस्याओं का अंत होगा, बस्तर में हर तरफ शांति होगी. बस्तर में हर ओर खुशहाली होगी. बस्तर में लाल आतंक का लाल रंग नहीं, बस हरियाली ही हरियाली होगी.