रायपुर. भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (माओवादी) 28 जुलाई से 3 अगस्त तक शहीदी सप्ताह मना रही है. नक्सलियों के इस आयोजन को देखते हुए देशभर में नक्सल प्रभावित इलाकों में सतर्कता बढ़ाई गई है. छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर में फोर्स को अलर्ट किया गया है.

आज से शुरू हो रहे शहीदी सप्ताह में अब तक प्रदेश में कहीं कोई बड़ी वारदात की सूचना नहीं है. हालांकि कई जगह से नक्सल पर्चे मिले हैं. नक्सल प्रभावित इलाकों में आवाजाही प्रभावित हुई है. ट्रेनों के परिचालन में भी फेरबदल किया गया है. अंदरूनी इलाकों में बसों और टैक्सियों का परिचालन थम गया है.

हर साल इसी अवधि में नक्सली शहीदी सप्ताह मनाते हैं. पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी में 1960 में नक्सल आंदोलन शुरू करने वाले चारू मजूमदार की मौत हुई थी. शहीदी सप्ताह के दौरान नक्सली उनकी याद में कई आयोजन करते हैं. सालभर में विभिन्न मुठभेड़ों में मारे गए अपने साथियों की याद में जंगल में जगह-जगह सभाओं का आयोजन करते हैं. शहीदी सप्ताह के दौरान शहीद स्मारक बनाए जाते हैं. इसी दौरान नए कैडर की भर्ती और ट्रेनिंग का आयोजन भी किया जाता है.

शहीदी सप्ताह के दौरान अपनी मौजूदगी का अहसास कराने के लिए नक्सली बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में भी रहते हैं. इस दौरान बस्तर और इससे सटे तेलंगाना, ओड़िशा, आंध्रप्रदेश तथा महाराष्ट्र तक फैले नक्सल इलाके में सुरक्षा बलों की चुनौती बढ़ जाती है.

सूत्रों कि मानें तो पुलिस प्रशासन द्वारा शहीद सप्ताह प्रारंभ होने के पूर्व से ही नक्सल संवेदनशील क्षेत्र में तैनात सुरक्षाबलों को अलर्ट जारी कर दिया गया है. जंगलों में सर्चिंग तेज कर दी गई है. साथ ही नक्सल प्रभावित क्षेत्र में जितनी भी सिक्यूरिटी फोर्स लगी है, उनको हाई अलर्ट पर कर दिया गया है. डयूटी में पहले की तुलना में अधिक लोग रहेंगे व उनकी डयूटी बढ़ा दी गई है. यही नहीं पुलिस विभाग के सूचना संकलन के कार्य को पुख्ता और मजबूत करने का प्रयास किया गया है.