रायपुर। राज्य शासन के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय को पत्र लिखकर मनरेगा के सभी वर्गों के श्रमिकों का मजदूरी भुगतान एकरूपता से किए जाने का आग्रह किया है. दरअसल, मनरेगा के तहत एक ही ग्राम पंचायत में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और अन्य वर्ग के श्रमिकों को मजदूरी भुगतान के लिए एफटीओ जारी किया गया था, लेकिन इनमें से केवल अन्य वर्ग को ही भुगतान हो रहा है. अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के श्रमिकों का भुगतान नहीं हो रहा है.

राज्य शासन ने केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय को भेजे पत्र में बताया है कि भारत सरकार द्वारा मजदूरी भुगतान के लिए नए नियम लागू करने के कारण यह समस्या हो रही है. भारत सरकार ने 1 अप्रैल 2021 से मजदूरी भुगतान के लिए राशि वर्गवार (सामान्य, अजा एवं अजजा) जारी किए जाने का प्रावधान किया गया है. इसके लिए राज्य शासन ने अनुसूचित जनजाति व अनुसूचित जाति वर्ग के लिए दो पृथक-पृथक खाते मार्च के महीने में खोले गए हैं. सामान्य वर्ग के श्रमिकों के भुगतान के लिए भारत सरकार से 26 अप्रैल को 241 करोड़ 80 लाख रुपए प्राप्त हुए हैं, जो उनके खातों में ट्रांसफर किए जा रहे हैं.

वहीं अनुसूचित जाति के श्रमिकों के लिए 5 मई को पांच करोड़ 26 लाख रुपए और अनुसूचित जनजाति के श्रमिकों के लिए 11 मई को 122 करोड़ नौ लाख रुपए प्राप्त हुए हैं. लेकिन इन श्रमिकों के खाते में पैसा ट्रांसफर नहीं हो रहा है. पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस संबंध में राज्य में मनरेगा के नोडल बैंक भारतीय स्टेट बैंक के अधिकारी से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति मद के नए खुले खातों को पीएफएमएस में मैपिंग करने का कार्य चल रहा है, इसलिए इस मद में राशि प्राप्त होने के बाद भी क्रेडिट नहीं हो पा रहा है. बैंक ने बताया है कि मैपिंग का कार्य 14 मई तक पूर्ण कर लिया जाएगा.

विभागीय अधिकारियों ने बताया कि इसके साथ ही अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति वर्ग के अंतर्गत प्राप्त राशि से भुगतान नहीं हो पाने के संबंध में केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के अवर सचिव से चर्चा हुई है. उन्होंने बताया कि मजदूरी भुगतान की प्रक्रिया में वर्गवार भुगतान संबधी परिवर्तन के कारण ग्रामीण विकास मंत्रालय स्तर पर राज्यों के लिए नामित डीडीओ को एक दिन में ही बहुत अधिक एफटीओ पर डिजिटल हस्ताक्षर करने पड़ रहे हैं. इसके अलावा वर्तमान में लॉकडाउन के कारण उन्हें यह कार्य सीमित संसाधनों के साथ घर से करना पड़ रहा है, इसलिए इसमें अधिक समय लग रहा है.